पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/१६

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द्वितीय अन्याय तुबमूल उपदेश बुद्ध को शिक्षा में सार्वभौमिकता-मध्यम-मार्ग-शिक्षात्रय-प्रतीत्य-समुत्पाद- अष्टांगिक मार्ग-पंचशील । तृतीय अध्याय: पति-चौरमाम बुद्ध देशना की भाषा तथा उसका विस्तारपालि-साहित्य का रचना-प्रकार व विकास- त्रिपिटक तथा अनुपिटकों का संक्षिप्त परिचय-~-पिटकेतर पालिग्रन्थ । चतुर्थ अन्याय निकाय विस्तार ३५-३८ निकायों का विकास। पंचम अध्याय स्वविरवाद की साथमा ३४-१०० शमय-यान-कसिण-निर्देश-दश अशुभ-कर्मस्थान-दश अनुस्मृतियाँ-पानापान- स्मृति-चार ब्रझविहार-चार अरूपध्यान- आहार में प्रतिकूल संचा-चतुर्धातु- व्यवस्थान-विपश्यना। द्वितीय खण्ड (१०१-२१८) [ महायान-धर्म और दर्शन, उसकी उत्पत्ति तथा विकास, साहित्य और साधना ] षष्ठ अध्याय ॥ महावामका उजव और उसकी विशेषता २०३-१२२ महायान-धर्म को उत्पत्ति-महायान-धर्म की विशेषता-त्रिकाय-वाद । सप्तम अध्याय बोध-संस्कृत साहित्य और उसका परिचय बौद-संस्कृत-साहित्य का अर्वाचीन अध्ययन-बौद-संकर-संस्कृत का विकास - महावस्तु - ललितविस्तर-अश्वघोष - साहित्य-अवदान -साहित्य-महायान-सूत्र- सद्धर्मपुण्डरीक-कारएडम्यूह-प्रदोभ्यन्यूह व करुणापुण्डरीक-सुखावतीव्यूह-आर्य- बुद्धावतंसक-गण्डन्यूह-दशभूमीश्वर-प्रज्ञापारमितासूत्र-लंकावतारसूत्र । भटम अध्याय महापान के प्रधान प्राचार्य महायान-दर्शन की उत्पत्ति और उनके प्रधान श्राचार्य । नवम अध्याय महायान के त्रादि साहित्य १७६-१७८ माहात्म्य, स्तोत्र, धारणी और तन्त्रों का संक्षिप्त परिचय । दशम अध्याय महायान की साधमा समायो १७९-२१८ महायान में साधना की नई दिशा--बुद्ध के पूर्व-जन्म---बुद्धत्व-बोधि-चित्त तथा बोधिचर्या-पारमित्तानों की साधना ।