पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/१९

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निग्रेष-समापति--संक्लेश-व्यवदान-विज्ञान का वितीय परिणाम 'मन-मन के प्राश्य -मन का पालंवन-मन के प्रयोग–अक्लिष्ठ मन-मन की संज्ञा- विज्ञान का तृतीय परिणाम, पड़ विशन-विज्ञप्तिमात्रता--विज्ञप्तिमात्रता की विभिन्न व्याख्याएँ-विशतिमात्रता पर कुछ प्रादेप और उसके उत्तर- त्रिखमाववाद-स्वभावत्रय का चित्त से अभेद-असंस्कृत धर्मों की विस्वभावता- त्रिखमाव की सशा-निःस्वभाववाद । खरहन- ऊनविंशमयाबमान्यमिकमा ४८२-५६२ माध्यमिक दर्शन का महत्व-माध्यमिक दर्शन का प्रतिपाय स्वत: उत्पत्ति के सिद्धान्त का खण्डन-माध्यमिक की पक्षहीनता--माध्यमिक की दोपोद्भावन की प्रणाली- माध्यमिक स्वतंत्र अनुमानवादी नहीं -परता उत्पादवाद का खण्डन-प्रतीत्य- समुत्पाद-बुद्ध देशना की नेवार्यता और नीतार्थता-संवृति की व्यवस्था-प्रमाण- इयता का खण्डन-लक्ष्य-लक्षण का खण्डन--प्रमाणों की अपरमार्थता--हेतुवाद का --गति, गन्ता और गन्तव्य का निषेध-अध्वय का निषेध-द्रष्टा, अष्टम्य और दर्शन का निषेध-रूपादि स्वन्धों का निषेधड् धातुओं का निषेध- रागादि क्लेशों का निषेध-संस्कृत धर्मों का निषेध (संस्कृत पदार्थों के लक्षण का निषेध-संस्कृत-लक्षण के लक्षण का निषेध---उत्पाद की उत्पाद-स्वभावता का खण्डन–अनुत्पाद से प्रतीत्यसमुत्पाद का अविरोध-निरोध की निर्हेतुकता का निषेध)-कर्म-कारक आदि का निषेध-पुद्गल के अस्तित्व का खण्डन--उपादाता और उपादान के प्रभाव से पुद्गल का अभाव-पदार्थों की पूर्वापर-कोटिशन्यता- दुःख की सत्ता-संस्कारों की निःस्वभावता-माध्यमिक प्रभाववादी नहीं-संसर्गवाद का खंडन-नित्वमावता की सिदि (स्वभाव का लक्षण-शून्यवाद उच्छेदवाद या शाश्वतवाद नहीं) संसार की सत्ता का निषेध कर्म, फल और उसके संबन्ध का निषेध-पषिकवाद में कर्म-फल की व्यवस्था अविप्रणाश से कम-पल की व्यवस्था- कर्मा की निःस्वभावता-अनात्मवाद (आत्मा स्कंध से भिन्न या अमिन नहीं- मनात्मविवि में भागम बाधक नहीं) तथागत के प्रवचन का प्रकार (माध्यमिक नास्तिक नहीं-तत्वामृतावतार की देशना) तख का लक्षण-काल का निषेध- ख-सामग्रीषाद का नि-उत्पाद-विनाश का निषेध-तथागत के अस्तित्व का निषेष-विपर्यास का निषेध-चार मार्य-सत्यों का निषेध (लोकसंवृति- साप-