पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/२११

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सप्तम अध्याय बौद्ध-संस्कृत-साहित्य का अर्वाचीन-अध्ययन महायान के ग्रन्थ गाथा और संस्कृत में है। महायान के ग्रन्थों की भाषा संस्कृत होने के कारण प्राय लोग श्राज-कल महायान को संस्कृत-बौद्ध-धर्म कहते हैं परन्तु यह ठीक नहीं है, क्योंकि हीनयान के अन्तर्गत मर्वास्तिवाद के आगम-ग्रन्थ भी संस्कृत में हैं। हम महायान के प्रन्यों का विवरण उसके प्रधान आचार्यों के परिचय के साथ देंगे, यहाँ हीनयान के संस्कृत ग्रयों का थोड़ा परिचय देना आवश्यक है। पाल-निकाय का अध्ययन यूरोप में अट्ठारहवीं शताब्दी में ही श्रारंभ हो गया था पर बौद्ध-धर्म के संस्कृत-साहित्य से यूरोपीय विद्वान् अपरिचित थे । सन् १८१६ ई० में जब नेपाल- युद्ध का अन्त हुश्रा और अंग्रेजों से नेपाल-दरबार की मैत्री स्थापित हुई तब से सिमौली के सुलहनामे के अनुसार काठमांडू में अंग्रेज-रेजिडेंट रहने लगे। जब पहले पहल रेजिडेंसी कायम हुई तब ब्रायन् हाजसन् रेजिडेंट के सहायक नियुक्त हुए। यह बड़े विद्याव्यसनी थे। रेजिडेसी में अमृतानन्द नाम के एक बौद्ध-पण्डित मुन्शी का काम करते थे ! यहाँ यह कह देना अनुचित न होगा कि नेपाल में इस समय भी बौद्धधर्म जीवित था। जब मुसलमानों के अाक्रमण और अत्याचारों के कारण बौद्धधर्म भारत से लुप्त हो गया तब बौद्ध भिक्षुओं को नेपाल और तिक्त में ही शरण मिली। पहाड़ी-प्रदेश होने के कारण नेपाल मुसलमानों के अाक्रमण से भी सुरक्षित रहा। अमृतानन्द एक अच्छे विद्वान् थे, इन्होंने कई संस्कृत-ग्रन्थों की रचना की थी। बुद्ध-चरित की जो पोथी उस समय नेपाल में प्राप्य थी, वह अधूरी थी । अमृतानन्द ने इस कमी को पूरा किया और चार सर्ग अपने रचे जोड़ दिए । हासन का ध्यान बौद्धधर्म की ओर श्राकृष्ट हुश्रा और अमृतानन्द की सहायता से वह हस्तलिखित पोथियों का संग्रह करने लगे। हाजसन् का संग्रह बंगाल की एशियाटिक सोसायटी, पेरिस के बिब्लिोक नाश्लाल और इण्डिया ऑफिस के पुस्तकायल में बँट गया। वर्नफ ने पेरिस के ग्रन्थों के आधार पर बौद्ध-धर्म का इतिहास फ्रेंच-भाषा में लिखा और सद्धर्मपुण्डरीक का अनुवाद किया । इधर नेपाल के राजमंत्री राणा जंगवहार ने एक बौद्ध-विहार पर कब्जा कर उसके मन्य सड़क पर फेंक दिये थे। रेजिडेंसी के डाक्टर राइट ने इनको मांग लिया और केम्बिज की यूनिवर्सिटी को दान दे दिया। बंगाल की एशियाटिक सोसायटी को हाजसन् का जो संग्रह मिला या उसकी सूची डाक्टर राजेन्द्र लाल मित्र ने तैयार की, जो १८८१ में नेपालीज् बुद्धिस्ट लिटरेचर के नाम से प्रकाशित हुई। केम्ब्रिज के संग्रह का सूची-पत्र प्रोफेसर सी. सी. बेंडल