पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/५४३

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प्रधादश अध्याय शुश्रान-बांग कहते हैं कि मिथ्याहष्टि के तीथिक भी ऐसा ही कहते हैं। यदि धर्म वस्तुसत् नहीं है तो बोधिसत्व संमार का त्याग करने के लिए, बोधिसंभार के लिए क्यों प्रयल- शील होंगे १ कौन बुद्धिमान् पुरुप कल्पित शत्रुओं का ( क्लेशों का ) उन्मूलन करने के के लिए, शिलापुत्रक ( = कुशल धर्म) को लेने जायगा और उनका उपयोग सेना की भाँति करेगा। अतः एक मबीजक चित्त है जो सांक्लेशिक-व्यावदानिक धो का और हेतु-फल का समाश्रय है। यह चिन अालय है। २. विपाक चिस बालग-विज्ञान के गिद्ध करने के लिए, हम एक युक्ति दे चुके हैं कि यह बीजों का धारक है । दूसरी युक्ति यह है कि सूत्र के अनुमार एक विषाक-चित्त है जो कुशल-अकुशल कर्म से अभिनिवृत्त होता है। यदि श्रालय नहीं है तो इस विपाक-चित्त का अभाव होता है। १. छ: विज्ञान न्युच्छिन्न होते हैं। यह सदा कर्म-फल नहीं होते। यह विपाक-चित्त नहीं है। हम जानते हैं कि जो धर्म विषाक हैं उनका पुनः प्रतिस-धान एक बार न्युच्छिन्न होने पर नहीं होता ( यथा जीवितेन्द्रिय )। जत्र विज्ञानपट्क कर्म से अभिनिवृत्त होता है, यथा शब्द, तब उनका निरन्तर सन्तान नहीं होना। अत: वह विपाकज है, विपाक नहीं है। २. एक विपाव-चित्त मानना होगा जो अाक्षेपक कर्म के समकक्ष है, धातुत्रय में पाया जाता है, जो मदाकालीन है, जो भाजन-लोक और सेन्द्रियक-वाय में परिणत होता है, जो सत्व का ममाश्रय है। वस्तुतः १. चित्त से पृथक् भाजन-लोक और सेन्द्रियक. काय नहीं हैं । २. विप्रयुक्त (विशेष कर जीवितेन्द्रिय ) द्रव्यमत् नहीं है । ३. प्रवृत्ति-विज्ञान सदा नहीं होते । श्रालय के प्रभाव में कौन भाजन-लोक और वाय में परिणत होगा । अन्ततः जहाँ चित्त है वहीं सत्व है। जहाँ चित्त नहीं है वहाँ सत्व नहीं है। यदि श्राप प्रालय को नहीं स्वीकार करते तो कौन-सा धर्म-नांच असंशि-श्रवस्थाओं में---मत्व का अाश्रय होगा। ३. समापत्ति की अवस्था में, यथा असमाहित अवस्था में, चाहे समापत्ति में उपनिध्यान हो या न हो, (निरोध-समापत्ति में ) सदा कायिकी वेदना होती है। इसी कारण समाधि से व्युत्थान कर योगी सुख या शारीरिक थकार का अनुभव करता है। अतः समापत्ति की सब अवस्थाओं में एक विपाक-चित्त निरन्तर रहता है। ४. हम उन सत्वों का विनार करें जो बुद्ध नहीं है। आप यह स्वीकार करते हैं कि क्षण-विशेष में उनके छः विज्ञान अव्याकृत और विषाक होते हैं। जिस काल में इन सत्वों के किसी अन्य नाति के विज्ञान (कुशल-अकुशल ) होते हैं या जब इस जाति के विज्ञान