पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/५४९

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प्रशवशमध्याय विज्ञान से है । अब योगी निरोध-समापत्ति में समापन होता है तब उसका श्राशय शान्त-शिव आदान-विज्ञान को निरुद्ध करने का नहीं होता। यही युक्तियां असंशि-समापत्ति और असंशिदेवों के लिए हैं। १०. संश-व्यवदान सूत्र में उक्त है कि "चित्त के संक्लेश से सत्व संक्लिष्ट होता है। चित्त के व्यवदान से सत्व विशुद्ध होता है।" इस लक्षण का चित्त अष्टम विज्ञान ही हो सकता है। संपदेशसांक्लेशिक धर्म तीन प्रकार के हैं :-१. धातुक क्लेश जो वर्शन-हेय और भावना-हेय है। २. अकुशल, कुशल सालव कर्म; ३. अाक्षेपक कर्म का फल, परिपूरफ कर्म का फल। (१) क्लेश-बीजों के धारक अष्टम विज्ञान के अभाव में क्लेशोत्पत्ति असंभव हो जाती है । जब (क) धातु का भूमि-संचार होता है, जब (ख ) अक्लिष्ट चित्त की उत्पत्ति होती है। (२) कर्म और फल के बीजों के धारक अष्टम विज्ञान के अभाव में कर्म और फल की उत्पत्ति अहेतुक होगी, चाहे वह धातु-भूमि-संचार के पश्चात् हो या निरुद्ध स्वभाव के धर्म की उत्पत्ति के पश्चात् हो। हम जानते हैं कि रूप और अन्य धर्म बीज-धारक नहीं है। हम जानते हैं कि अतीत धर्म हेतु नहीं है। किन्तु यदि कर्म और फल की उत्पत्ति अहेतुक है, तो धातुक कर्म और फल उस योगी के लिए क्यों न होंगे, जो निरुपधिशेष-निर्वाण में प्रवेश कर गया है । और क्लेश भी हेतु के बिना उत्पन्न होंगे। प्रवृत्ति (प्रतीत्य-समुत्पाद, संस्कार ) तभी संभव है जब संस्कार-प्रत्ययवश विज्ञान हो । यदि अष्टम विज्ञान न हो तो यह हेतु-प्रत्ययता संभव नहीं है। यदि संस्कार से उत्पन्न विज्ञान 'नामरूप' में संगृहीत विज्ञान होता तो सूत्र में यह उक्त होता कि संस्कार-प्रत्ययवश नामरूप होता है । स्थिरमति (पृ० ३७-३८) कहते हैं कि श्रालय-विज्ञान के बिना संसार-प्रवृत्ति युक्त नहीं है। श्रालय-विज्ञान से अन्य संस्कार-प्रत्यय-विज्ञान युक्त नहीं है। संस्कार-प्रत्यय- विज्ञान के अभाव में प्रवृत्ति का भी अभाव है। यदि श्रालय-विज्ञान नहीं है तो संस्कार प्रत्यय-प्रतिसंधि-विज्ञान की कल्पना या संस्कारभावित षड्विज्ञान-काय की कल्पना हो सकती है। किन्तु पहले विकल्प में जो संस्कार प्रातिसन्धिक-विज्ञान के प्रत्यय इष्ट है, वह चिरकाल हुना निरुद्ध हो चुके । जो निरुद्ध है वह असत् है, और जो असत् है उसका प्रत्ययत्व नहीं है। अतः यह युक्त नहीं है कि संस्कार-प्रत्यय प्रतिसन्धि-विज्ञान है। पुनः प्रतिसन्धि के समय नामरूप भी होता है, केवल विज्ञान नहीं होता। किन्तु सूत्र में है कि संस्कार-प्रत्यय विज्ञान