पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/६५९

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विस अध्याय रूप से इस अर्थ में जैसा कि ब्राह्मणों में कहा गया है, प्रजापति संवत्सर है। इसका सादृश्य बौद्धों के अमितायु से है । वैदिक हिन्दुओं का यही काल है,जिमका तादात्म्य शिव (महाकाल) और विष्णु से किया जाता है । इस कोटि के देवता काल मृत्यु से उतना ही भिन्न है, जितना कि शाश्वन-काल सृष्ट-काल से भिन्न है । जैसा कि उम पुरुष के लिए उचित है,जो सत्र द्वन्द्वों का अन्तिम प्रभव है, और जो स्वयं उनसे झर्य और बहुत दूर रहता है । यह ईश्वर-काल सर्वथा उदासीन है। वह किसी के साथ पक्षपात नहीं करना | दोनों कालो-शाश्वत और औपाधिक-के संबन्ध में कल्पना है कि यह एक प्रकार का सूक्ष्म द्रव्य है, जो दिक् को व्याप्त करता है। सूत्र और शाश्वत काल में मुख्य भेद यह है कि पूर्व विभाज्य और मित है, और अपर सभाग ( पूर्व सदृश ) अनवयवी और अनन्त है । औपाधिक काल विश्व के उम अधरभाग को व्याप्त करता है, जिसका निर्माण भौतिक हुअा है, और जो सूर्य के अधस्तात् है । शाश्वत-काल दूसरी ओर के अभौतिक श्राय- तनों को व्याम करता है । उदाहरण के लिए हम तीन उद्धरण देते हैं:- १. जैमिनीय ब्राह्मण ( १ ब्रा० )—“सूर्य के दूसरी ओर यत्किंचित् है, वह अमृत है; किन्तु जो इस श्रोर है, यह दिवा-रात्र ( औपाधिक काल, मृत्यु ) से निरन्तर विनष्ट होता रहता है । सूर्य के दूसरी ओर अनेक लोक हैं ।" २. बृहदारण्यक ( ४।४।१६ )-"जिमके नीचे मंवत्मर की गति होती है, उस अमृत ( प्रकाशों के प्रकाश ) पर देवता उपआगना करते हैं।" ३. मैत्रायणी उपनिषद् ( ६।१५)-"ब्रह्मन् के दो रूप हैं-काल-अकाल । जो सूर्य के प्राक् है, वह अकल-काल है; जो सूर्य से प्रारम्भ होता है, वह सकल-काल है। दूसरे शब्दों में शाश्वत-अभौतिक तथा अनित्य-भौतिक के बीच की सीमा देवताओं की उच्चकोटि है, जिसपर सूर्य चक्कर कारता है।" काल एक सूक्ष्म द्रव्य है। यह विचार पीछे के अधिकांश दर्शनो पाया जाता है। वैशेषिक के अनुसार काल नौ द्रव्यो में परिगणित है। मीमांसक भी उसे द्रव्य की सूची में गिनाते हैं। जैनागम' के अनुसार काल स्तिकाय नहीं है, क्योंकि इसमें प्रदेश नहीं है । तथापि यह द्रव्य है। नवाबाद का मापार इन मब कालवादो का श्राधार लगभग एक ही है। उसके लिए मुख्यतः दो युक्तियाँ है:- १. भाषा में काल संबन्ध को व्यक्त करने के लिए कई शब्द है-युगपत् , पूर्व, अपर श्रादि । पुनः प्रत्ययों की सहायता से भाषा क्रिया के काल-भेद को व्यक्त करती है-क्रियते, कृतम् , करिष्यति ।