पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/५७

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जाते थे। यहां भिक्षु और भिक्षुणियां जप तप और पढ़ने लिखने में अपना समय व्यतीत करती थीं। यह सब सिर मुड़ाते थे गेरुआ वस्त्र पहिनते थे और भिक्षा पर निर्बाह करते थे। मगधदेश में इस भांति के बहुत से बिहार थे इस कारण उस प्रान्त का नाम ही बिहार हो गया।

अजन्ता की खोह में भिक्षुओं का स्थान।

४—बुद्ध जी अपने चेलों को यही शिक्षा दिया करते थे कि तुम भी मेरी राह पर चलो और दूसरों को इसी राह पर लाने का उद्योग करो। वह इसी सलाह पर चले यहां तक कि बुद्ध जी के जीते जी हज़ारों हिन्दू उनके मत के अनुगामी हो गये। इनमें से मगध देश के राजा बिम्बिसार भी थे। धीरे धीरे यह मत यहां तक बढ़ा कि हज़ार बरस तक भारत में सबसे अधिक बढ़ती इसी की रही।

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