पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/९९

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शहाबुद्दीन से भिड़ा। चौहान अपने राजा और देश के नाम पर जी तोड़ कर लड़े पर महाबीर और जानपर खेलनेवाले अफ़गानों ने उन्हें जीत लिया। राजपूत तितिर बितिर होकर भागे और पृथ्वीराज मारा गया। पृथ्वीराज की रानी जयचन्द की बेटी अपने पति के साथ चिता पर जलकर सती हो गई। महम्मद ग़ोरी ने पहिले दिल्ली पर दख़ल किया पीछे अजमेर पहुंचा और बहुत सा लूट का माल लेकर ग़ज़नी चला गया। कुतुबुद्दीन उसका नायब भारत के उन प्रान्तों पर राज करने के लिये जो महम्मद ग़ोरी नेजीते थे यहीं रह गया।

६—शहाबुद्दीन ११९४ ई॰ में फिर भारत में आया और अबकी बार कनौज के राजा जयचन्द पर चढ़ दौड़ा। जयचन्द बड़ी बीरता से लड़ा पर बिना चौहानों की सहायता के वह पठानों को न हरा सका और पृथ्वीराज की तरह वह भी मारा गया। ग़ोरियों ने कन्नौज और बनारस ले लिया। और नगरों की कौन गिनती है अकेले बनारस में मुसलमानों ने एक हज़ार मन्दिर नष्ट कर दिये और चार हज़ार ऊंटो पर लूट का माल लाद ले गये।

७—राठौर और उत्तरीय भारत की अनेक राजपूत जातियां गंगा यमुना के आस पास के देशों से जहां इनके पुरुषा डेढ़ सौ बरस से बसते थे इस समय अपना परिवार और माल असबाब लेकर दक्षिण और पश्चिम मारवाड़ और अरवली पहाड़ के पास के देश में जा बसीं। उन्हीं के कारण अब यह देश राजपूताना कहलाता है।

८—महम्मद ग़ोरी और उसके सेनापतियों ने लगभग सारा उत्तरीय हिन्दुस्थान जीत लिया। उन में से एक ने जिसका नाम बख्तियार ख़िलजी था ११९९ ई॰ में अवध और बिहार को और १२०३ ई॰ में बङ्गाले को जीता। इस समय बङ्गाले की