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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१६४

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भारतवर्षका इतिहास पुराणोंकी वंशावलियोंसे प्रतीत होता है कि शिशुनाग वंशके अन्तिम दो राजाओंके नाम नन्दीवर्धन और महानन्दी थे । इन्होंने ८३ वर्पतक राज्य किया। इस वंशके पश्चात् नन्दवंश सिंहा- सनारूढ़ हुआ। इसका मूल पुरुष महापद्म था। उसने तथा उसके माठ पुत्रोंने लगभगसी वर्पतक राज्य किया ।* इस घंशके अन्तिम राजा नन्दके समयमें महान् सिकन्दरने भारतपर आक्र- मण किया। कहते हैं, नन्द राजा नीच जातिके थे। शायद यही कारण हो कि वे ब्राह्मणों और क्षत्रियों के विरोधी थे। अन्तिम नन्द एक बड़ा शक्तिशाली राजा था। इसके पास सेना और सम्पत्ति यात थी । यूनानियोंके लेखानुसार उसकी सेनामें दो लाख पैदल सिपाही, बोस सहस्र अश्वारोही, तीन चार सहन हाथी और दो सहन गाड़ियां थीं। महान् सिकन्दर- जिस समय हिन्दू-सभ्यता अपने उच्च शिवरपर थी और उसमें महात्मा युद्धने एक का थाक्रमण प्रकारका युगान्तर उत्पन्न कर दिया था उसी समयमें यूरोपके यूनानके द्वीपों में एक और सभ्यता भी उन्नता- वस्थामें थी। इस सभ्यताने यूरोपको परास्त किया। इसकी छाप अवतक यूरोपीय सभ्यतापर लगी हुई है । यह वह सभ्यता है जिसको इतिहास लेखक यूनानी ‘सभ्यताका नाम देते हैं। यूनानी लोग भी उसी आर्य-जातिमेंसे थे जिसकी एक शाखा भारतमें और दूसरी ईरानमें बसती थी। हिन्दु आर्योने जिस प्रकार प्रायः समस्त भारतको जीतकर एक बड़ी भारी राजनी तिक और धार्मिक पद्धतिको नींव डाली, उसी प्रकार यूनानियों ने भी बहुत कुछ उन्नति की। ईरानका धर्म-प्रवर्तक जदुश्त भी उसी कालमें हुमा जयकि महात्मा बुद्ध भारतमें अपना प्रचार • इन भवधियों को प्रतिमासान्वेषी लोग बहुत सदसकी रिसे देखते हैं।