पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१६७

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मगध राज्य, बड़े सिकन्दरका आक्रमण लपका स्थान होने के कारण बहुत प्रसिद्ध और जनाकीर्ण था। ऐसा प्रतीत होता है कि तक्षशिलातक पहुचनेके पूर्व ही तक्ष. शिला-नरेश सिकन्दरसे आ मिला | उसने लियान्दरको उस प्रान्तकी वाधीन जातियोंको परास्त करने में बहुत सहायता दी। अगस्त सन् ३२७ ईसापूर्वमें सिकन्दरने उस समस्त प्रान्तको अधीन कर लिया गओ अटक और जेहलमके धीच स्थित है। कोनार और वाजौरको घाटियोंमेंसे लांघता हुआ सिकन्दर 'निसा' पहुंचा। यहांकी प्रचलित सभ्यताको उसने बहुत कुछ यूनानकी सभ्यताके अनुसार पाया । एस्पिया जातिको पराजित करके सिकन्दरने चालीस सहस्र कैदी और दो लाख तीस हजार धैल लूटमें प्राप्त किये। इतिहासकार लिखता है कि इस लूटके पशुओंमेंसे अत्युत्तम भौर सुन्दर छांटकर मकदुनिया भेज दिये गये। इससे यह विदित होता है कि उस कालमें भी मारतके गाय येल यूरोपीय गाय बैलोंसे बहुत सुन्दर, डील- डौलवाले और मजबूत धे। सिकन्दरके इस अभियानमें अन्य स्मरणीय लड़ाइयोंर्मेसे एक लड़ाई मसागा नामक स्थानपर हुई। मलागावालोने बीस सदन सवार और तीन सहन सिपाहियोंसे घोरतापूर्वक सामना किया, परन्तु अन्तको हार खाई। मसागामें घिरे हुए सिपाहि- योमैसे सात सहन ऐसे सिपाही थे जो भारती मैदानोंसे आये हुए थे। कहा जाता है कि उन्होंने सिकन्दरको सेनामें पहले शाने उस समय तच निलाम वियोरे विक्रय के लिये एक मा फरतो चो, जिम नियो पपने सौन्दर्य को प्रदशिनो करतो । या बाय मयताकै भावने ऐसोनिकाभिकी मत्ताने मन्द किया जा सकता है। पपया या का जा सकता. किन्या प्रथा पर-परिमको तावारी भानियोंने तिका रोगी। ये मासिया सम समय मापत सतर-पपिममे माय. तो मातोपीर सती भी है। 1