पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२८८

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दूसरा परिच्छेद।

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आसाम और काश्मीर । यासाम भारतको उत्तर-पूर्व सीमाका नाम है। इसका प्राचीन नाम.कामरूप है। सयसे पहले इसका उल्लस समुद्र- गुप्त के समय भाता है । इलाहायारके स्तम्भपर कामरूपको गुप्त- साम्राज्यके फरय राज्योंमेले वर्णन किया गया है। इसके पश्चात् फिर मासामका उल्लेख चीनी यात्री स्पू नसाइके समयमें माता है जो कामरूपके राजा कुमारके निमन्त्रणपरनालन्दसे वहां गया। कुमारका दूसरा नाम भास्फर वर्मा भी था। ह्यू नसाझलिखता है कि राजा ब्रामण था। इसके पश्चात् फिर कामरूपफा उल्लेख पङ्गालके पालवंशके वृत्तान्तोंमें माता है। वारहवीं शताब्दीमें कुमार पालने अपने मन्त्री वैद्यदेवको राज- कीय अधिकार देकर इस प्रान्तफा शासक बनाया। सन् १३२८ ई०में शान जातिके अहोम नामक वंशने एक नवीन कुलकी नींव दाली, जिसका सन् १८२५ ई. तक इसपर अधिकार रहा । इस प्रान्तके निवासी अधिकतर मङ्गोल-जातिके हैं। मङ्गोल- जातिके धार्मिक विचारोंने एक विचित्र प्रकारका तन्त्र कर दिया है; जो ग्रायणिक सौर यौद-मतको. मिलावट है। गौहाटीका समीपपती कामाक्षाका मन्दिर शाक्त हिन्दुओंके अतीव पवित्र देवालयोंमेंसे गिना जाता है। आसाम प्रान्तका इतिहास इस यातकी अतीव प्रामाणिक साक्षी उपस्थित करता है कि किस प्रकार ब्राह्मण लोग अनार्य जाति.. +