पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कन्नौज, पंजाय, अजमेर, दिल्ली, ग्वालियरकी राजधानियां २५७ टक सन् ४०५६०के लगभग दूसरे चन्द्रगुप्त और विक्रमादित्यके समयमें भारतमें आया था। उसने लिखा है कि इस नगरमें दो बौद्ध मठ और एक स्तूप था। फन्नीजको गुप्त राजाओंके शासन- कालमें बडी उन्नति प्राप्ति हुई। महाराज हर्षके समयमें यह नगर उन्नति शिपरपर था। उस समय इसमें एक सौ मठ थे और महायान तथा हीनपान सम्प्रदायके लगभग दस सहस्र भिक्षु यहां निवास करते थे। हिन्दू-धर्म भी वौद्ध-धर्मके समान ही उन्नति- पर था। हिन्दुओंके लगभग दो सौ मन्दिर थे । जिनमें सहस्रों मनुष्य प्रतिदिन पूजा करते थे। नगर बहुत मजबूत बना था और गद्दाके पूर्वी तटपर चार मो तक फैला हुआ था। नगरमें बडे बडे उद्यान और तालाव थे । अधिवासी बहुत धनाढय थे। चीनी पर्यटकके लेखानुसार सर्वसाधारण रेशमी वस्त्र पहनते थे और कला कौशल तथा विद्याकी बहुत चर्चा थी। सन् १०१८ ईमें जव गजनीके मह- गजनीके महमूदका मूदने पहले पहल कन्नौजपर आक्रमण धाना। किया तो उस समय नगरको रक्षाके लिये सात दुर्ग बने हुए थे और नगरमें दस सहस्र मन्दिर थे। कन्नीज यद्यपि दो बार उत्तरी भारतके राज्यकी राजधानी यना, एक बार महाराज हर्पके समयमें और दूसरी चार महा. राज भोज धौर महाराजा महेन्द्रपालके समयमें, परन्तु वास्तर- में यह केवल पचाल राज्यकी राजधानी था। उत्तरी पचालका राज्य महाभारतके समयमें द्रोणाचार्यके भागमें माया और दक्षिणी पचाल दुपदके राज्यके अन्तर्गत था। उस समय पंचाल- देशमें पंजाय भी मिला हुआ था। महाराज हर्षकी मृत्युके पञ्चात् पहला राजा जिसने कुछ प्रसिद्धि प्राप्त की यशोवर्मन था। इसने सन् ७३१ ई०में धीनको दूत भेजे। इसके नौ दस वर्ष याद $ १७