पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२९२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२५८. भारतवर्षका इतिहास 1 कन्नौज। काश्मीरके राजा ललितादित्य उपनाम मुक्कापीड़ने राज्यच्युत कर दिया। यशोवर्मन संस्कृत भाषाके प्रसिद्ध कवि भवभूति और प्राकृतके वाजपति रावका आश्रयदाता था। यह वंश सन् ८१६ ई० तक कन्नौजमें शासन करता रहा, यद्यपि सन् ८०० ईमें बङ्गाल-विहारके राजा धर्मपालने इन्द्रायुधको राज्यच्युत करके उसके स्थानमें उसके एक सम्बन्धी चकायुधको राज मुकुट दिया था। परन्तु सन् ८१६ ई० में राजपूतानेकी रियासत गुर्जर प्रतिहारके राजा नागभर्टने फिर उससे राज्य छीन लिया। नागभटने अपनी प्राचीन राजधानी नागभटकी राजधानी भिलमालको छोड़ कन्नौजको अपनी राजधानी बनाया और उसकी मृत्युपर उसका पुत्र रामभद्र सन् ८२५ ई०से सन् ८४० ई० तक शासन करता रहा। हिन्दुओंके उपाख्यानोंमें महाराज भोज मिहिर भोज । · ऐसा ही प्रतिष्ठित है जैसा कि विक्रमादित्य । इसने उत्तर भारतको फिर अपने झंडेके नीचे इकट्ठा किया और लगभग पचास वर्षतक सन् ८४० ई०से सन् ८६० ई० तक शासन किया। पंजायका वह सारा भाग जो सतलजके पूर्वमें है, राजपूतानेका बहुत सा भाग, लगभग साराका सारा वह प्रदेश जो इस समय आगरा और अवधके संयुक्त प्रान्तों और ग्वालियर राज्यमें है, इसके राज्यमें था । काठियावाड़, गुजरात और मालया भी राजा भोजके अधीन थे। भोजका साम्राज्य पूर्वमें वङ्गाल भोजके राज्यको सीमा। और बिहारके राजा देवपालसे मिलता था। इसको उसने धावा करके सफलतापूर्वक पराजित किया। उत्तर-पश्चिममें सतलज नदी उसकी सीमा थी। पश्चिम-