पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३०३

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मध्यवतीं प्रान्त बुन्देलखण्ड और मालवाके हिन्दू-राज्य २६७ विशाल और उनके तालाव अतीव सुन्दर थे। .पहाड़ियों के नालॉपर बांध लगाकर ये तालाव या झीलें बनाई गई। इस चंश राजा यशोवर्मनका नाम पहले इस इतिहासमें आ चुका है । वह इसी वंशके राजा हर्यका पुत्र और उत्तराधिकारी था। परन्तु इस वंशका प्रसिद्धराजा यशोवर्मनका राजावा पुत्र धङ्ग था । यह सी वर्षसे अधिक आयुका होकर मरा, और इसने ४६ वर्पनक शासन किया । सन् ६८६ ई० या सन् ६६० ई० में वह पञ्जाबके राजा जय- पालकी उस लड़ाई में सम्मिलित हुआ जो जयपालने सबुक्तगीनले अपने राज्यको बचाने के लिये की थी। फिर जब जयपालके पुत्र आनन्दपालने सन् १००८ई० में महमूदके मुकाबलेमें हिन्दू राजाओं का एक नया संघ या एका स्थापित किया तब धङ्गका पुत्र गण्ड 'उममें मिला । इसके दस वर्ष पश्चात् गण्डने कन्नौजपर आक्रमण करके राजा जयपालको जिसने मुसलमानोंसे संधि कर ली थी, मार डाला। परन्तु सन् १०२३ ई० में उसे स्वयं कालिञ्जरका प्रसिद्ध दुर्ग महमूदको देना पड़ा। चैदिक राजा गाड्यदेव सन् १०१५ ई० से सन् १०४० ई० और कर्णदेव ! तक.चेदिका राजा गाङ्गेयदेव कलचुरि उत्तर भारतमें सबसे प्रवल शक्ति बनाने- का यन करता रहा और बहुत अंशतक उसे सफलता भी हुई। सन् १०१६ ई. में उसका राज्य नर्मदातक माना जाता था। उसके पुत्र कर्णदेवने, जिसका राजत्यकाल सन् १०४० ई० से सन् १०७० तक है, अपने पिताके उद्योगको जारी रखा, भीर सन् १०६० ई० में गुजरातके राजा भीमके साथ मिलकर माल- चाके विद्वान् राजा भोजको पराजय दी। परन्तु कुछ वर्ष उपरान्त स्वयं कर्णदेवकी कई हारें हुई।