पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३२९

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सुदूर दक्षिणके राज्य २८॥ पूर्वी सागर-तटके ययहार बंदरमें आगे लिखी घस्तुयें विकनेके लिये माती थीं:-समुद्र पारसे घोडे, काली मिर्च,मोना मौर घहुमूल्य पत्थर उत्तरीय प्रदेशसे, चन्दन मौर Agh पश्चिमी तटसे, मोती दक्षिणी सागरसे और मुंगे पूर्वी सागरोसे। तामिल लोग जहाज चलानेकी विद्यामें निपुण थे और अपने जहाज आप बनाते थे। इसी प्रकार दुर्गों और शत्रोंके धनाने में घे चरम उन्नतिपर पहुंचे हुए थे। मदुरापर भाक्रमण हुभा तो उसकी रक्षामें २४ प्रकारके शलोंका वर्णन मिलता है। तामिल जातियों के तामिल जातियोंके राजनीतिक नियम भी अधिकांशमें ऊँचे थे। राजाके अधि- राजनीतिक नियम। फारोंका निरीक्षण करनेके लिये पांच प्रकारकी समायें थीं, अर्थात् मन्त्रियोंकी सभा, पुरोहितोयी समा, सैनिक अधिकारियोंकी समा, राजदूतोंकी सभा और मेदियोंकी समा। पण्डितों और सामान्य विद्वानोंको अधिकार था कि जिस समय चाहे अपनी सम्मति प्रकट करें। श्री०माण स्वामी आयगरने, जिनके इतिहाससे हमने ये घटनायें ली है, अनेक ऐसे उदाहरण दिये है जिनसे यह प्रतीत होता है कि यदे घटे राजाओंने पण्डितों और विद्वानोंके कहने पर अपने निर्णय बदल दिये न्यायका जो आदर्श तामिल राजा- ओंके सामने रहता था उसका अनुमान आगे लिखी यहायतोंसे हो सकता है यदि समयपर वर्षा न हो तो राजाफे पापोंका पल हे, यदि खियां व्यभिचारणी हो जाये तो भी उसका उत्तरदायित्व राजापर है। तामिल राजाओंके समयमें शिक्षाका खूप प्रचार था मोर विधाका यहुत सम्मान होता था। स्त्रिया स्वतन्त्रतापूर्वक विद्याध्ययन करती थी। यहुत सी योग्य नियां फयपित्री हुई है।