पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हिन्दू और यूरोपीय सभ्यताकी तुलना ३१० सभी नई पुस्तकोंमें इन पातपर प्रकाश डाला गया है। भाव यह है कि अन्तिम शासन केवल उन लोगोंके हाथमें नहीं होना चाहिये जो प्रान्तों के प्रतिनिधि हों, वरन् शासनकी कुली भिन्न भिन्न काम करनेवाले समाजोंके प्रतिनिधियों के हाथमें होनी चाहिये। गवर्नमेंटका हस्तक्षेप प्रजाके फाहियान और घनसान दो चीनी पर्यटक एक दूसरेसे दो सौ जीवनके प्रत्येक अगमें वर्षके अन्तरसे भारतमें आये । इन दोनोंने इस पातको प्रमाणित किया है कि सामयिक गवर्नमेंट लोगोंकी यातोंमें बहुत कम हस्तक्षेप करती थी। वर्तमान कालमें क्या यूरोपमें और क्या भारतमें, राज्यका प्रवेश जीवनके प्रत्येक विभागमें हो गया है। लोकल सेल्फ गवर्नमेंट भी एक प्रकारसे केन्द्रिक शासनका एक विभाग है। उसीकी नकल गर्नमेंटने भारतमें उतारी है। ब्रिटिश गवर्नमेंटके अधीन पहली बार भारत- के इतिहासमें केन्द्रिक शासनने ग्रामोके भीतरी प्रवन्धमें हस्तक्षेप करना भारम्भ किया है। इसका परिणाम जातिके लिये भतीच पिनाशक सिद्ध हुआ है। आजकल यूरोप और अमरीका यद्यपि प्रजातंत्र मियमोंके अनुसार शासन किया जाता है, परन्तु लोगोंके जीवनोंके प्रत्येक विभागमें गवर्नमेंटका हाथ इतना बढ़ गया है कि लोग इस प्रजातंत्रपर बहुत सन्देश फरने लगे हैं। भारतकी इस नियमने यहुत हानि की है। कदाचित् इस देशके इतिहासमें कभी इतनी बड़ी संख्या सरकारी कार्मचारी न खखे गये थे और न उनको इतने घटे पहे 'वेतन दिये गये थे जितने कि अँगरेज़ी शासन-कालमें दिये जा रहे है। जितने अधिक सरकारी कर्मचारी होंगे उतनी ही कम प्रजाको खतंत्रता होगी। वेतनभोगी कर्मचारियों की प्रचुरता राजनीतिक दासत्व. R.