पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३६४

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३२२ भारतवर्षका इतिहास 1 यह अच्छी है । न वह पूर्ण थी और न यह पूर्ण है। इस विषयमें अभी उन्नतिके लिये बहुत गुञ्जायश है। गवर्नमेंटके विभाग। राज्यके भिन्न भिन्न विभागोंको परीक्षा करनेसे ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन हिन्दू-कालमें प्रायः वह प्रत्येक विभाग मौजूद था, जिसपर इस समय यूरोपके राज्य अभिमान करते हैं । उदाहरणार्थ, यदि आधु. निक गवर्नमेंटोंके युद्ध विभागके प्रबंधकी तुलना चन्द्रगुप्त मौर्यके राज्यके युद्ध-विभागके प्रबंधके साथ की जाय तो यह नहीं कहा जा सकता कि उसका प्रबंध अपूर्ण या सदोष था। माधुनिक कालमें वैज्ञानिक आविष्कारोंके कारण युद्ध-कलाने बहुत उन्नति की है, परन्तु इसके साथ ही युद्धकी नीतिमें बहुत कुछ अधःपात भी हुआ है। याजकलका युद्ध युद्ध नहीं वरन् रकपात है। सार्वजनिक आय या सरकारी आय और व्ययके विभागके पब्लिक फाईनांस । सम्बन्ध भी हमको वर्तमान राजप्रवन्धमें कोई यात विशेषरूपसे उत्तम नहीं देख पड़ती। हिन्दू-धर्मशास्त्रमें धार वार उन राजखोंकी दरका वर्णन हेलो राजाको लेनेचाहियें। किसी गर्वनमेंटकी मार्थिक नीतिकी कठोरता या कोमलताका प्रमाण प्रजाकी आर्थिक अवस्था होती है। ऐतिहासिक कालके आरम्भसे लेकर मुसलमानों के आक्रमण- तक विदेशी पर्यटकों और व्यापारियोंके जितने वृत्तान्त मिलते हैं उनसे निश्चयात्मकरूपसे यह सिद्ध होता है कि यह देश अतीय धनवान था और सर्वसाधारण बड़े सुखी थे। यद्यपि कुछ राजा बहुत अपव्ययी थे और इतिहास हमें बतलाता है कि राजकीय ठाट-बाट और प्रतिपत्तिपर अमित व्यय किया जाता था, परन्तु यह सब धन देशमें ही व्यय होता था, इन व्यर्थव्ययोंसे प्रजा- पर कुछ बोझ नहीं पड़ता था और देश कङ्गाल न होता था।