पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४८६

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केम्ब्रिज हिस्टरी आव इण्डियाका प्रथम खण्ड ४४३ इसी प्रकार साईरसके उत्तराधिकारी फेम्बासस । केसीसेसके विषयमें भी जो साक्षी है घाट अतीव निस्सार और निरर्थक्स है। हां, दारा यिजयोंके सम्बन्ध- में जो साक्षी उपस्थित की जाती है वह फुछ महत्व रखती है। दाराके शिलान्लेख। दाराके समयके तीन शिला-लेप प्राप्त हुए हैं। उनमेंसे संख्या १ पाहिस्तान टोलेका शिलालेख कहलाता है। इसकी तिथि सन् ५२० और ५१८ ईसा पूर्वके बीच है। इस लेपमें दाराके राज्यके तेईस प्रान्तोंका वर्णन है जिनमें भारतके भागका कोई उल्लेख नहीं (गोर न काबुल और गंधारका) । यह शिला-लेन पूर्णरूपसे उन समस्त प्रमाणोंका पण्डन करता है जो इससे पहले इस प्रदेशमें ईरानी राज्यके विषयमें उपस्थित किये गये हैं। दो शिला-लेख इसके पश्चात् हैं । ये सन् ५१५ मीर ५१८ ई० पू० के बीचके हैं। इनमें ये चल "हिन्दू" शब्द आता है। इससे ' अध्यापक जैकसन यह परिणाम निकालते हैं कि उससे अमि- प्राय पायसे है। यह प्रमाण हमारी सम्मतिमें बिलकुल अप- र्याप्त है। इसके अतिरिक्त हीरोडोटसका लेख उपस्थित किया जाता है। इसमें दाराफे घीस प्रान्तोंमेंसे भारतको बीसौं वर्णन किया गया है। और यह भी लिखा है कि भारत दूसरे प्रान्तोंको अपेक्षा अधिक राजस्व देता था। एक और साक्षी भी उपस्थित की जाती है। यह यह कि सन् ५१७ ई०पू० के लगभग दाराने सकाई लेकसको एक जनी येडा देकर सिंधु नदीके मार्गसे मिनको भेजा। यह कथन भी हीरोडोटसका है। परन्तु इसके मिथ्या होनेका प्रमाण यह है कि वह लिखता है कि दाराने यह बेड़ा भारतको विजय करनेके पूर्व मेजा था, इसके अनन्तर उसने भारतको जीता। अध्यापक जैकसन इस पिछले कथनको सत्य