पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४८७

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भारतघर्षका इतिहास नहीं समझते। हमारी सम्मतिमें दोनों ही कथन मिथ्या और निर्मूल हैं । मिस्रको येड़ा भेजनेके लिये सिंधु नदीसे होकर जाने- की आवश्यकता न थी । फारसको 'खाड़ीसे मार्ग सीधा था। इस साक्षीके आधारपर अध्यापक जैकसन यह सम्मति स्थिर करते हैं कि पायका बहुत सा भाग अर्थात् हिन्दूकुशसे लेकर व्यास नदीतक दाराके शासनाधीन था। इस सम्बन्ध विसेंट स्मिथफी सम्मति भी अशुद्ध है । अधिकसे अधिक यह कहा जा सकता है कि सम्भव है कि हिन्दूकुशसे लेकर सिंधु नदीतकका प्रदेश कुछ कालके लिये दाराके शासनके अधीन रहा हो, यद्यपि नियारकस और मगस्थनीज़ इसका भी खण्डन करते हैं। हमारी सम्मतिमें हीरोडोटसकी साक्षी केवल अविश्वसनीय है। अध्यापक जैकसनके पक्षपातका यह भी प्रमाण है कि वह टेसियसकी साक्षीका वार यार प्रमाण देता है। उसके तथा हीरोडोटसके विषय में दूसरे विद्वानोंने जो सम्मति स्थिर को है उसका कुछ भी उल्लेख नहीं। हमारी सम्मतिमें यह सारा परि- च्छेद एक विशेष प्रकारकी वकालत है। इससे हमको यह परि- णाम निकालने में सुगमता होती है कि इस पुस्तकमें किस प्रकार- की सामग्री इकट्ठी की गई है। सिकन्दरका अाक्रमण! पन्दहवें परिच्छेदमें सिकन्दरके आक्र- मणका उल्लेख है। यह श्री० चेवनका लिखा हुआ है । इस परिच्छेदमें कोई भी यात ऐसी नहीं जिसे नया कहा जा सके । श्रीयुत वेवनने पोरसकी वीरता और देशा. नुरागकी बहुत प्रशंसा की है और कमसे कम तीन अवसर ऐसे यतलाये हैं जय यूनानियोंने सर्वसाधारणकी हत्या की और स्त्री और यश्चतकको न छोड़ा। सोलहयां परिच्छेद भी इसी महा. शयका लिखा हुआ है। इसमें उन नानी और लातीनी लेखोंपर