पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

, केम्ब्रिज हिस्टरी आव इण्डियाका प्रथम खण्ड ४८१ में लिखा है कि स्त्रियोंके विरुद्ध अपराधोंके लिये घोर दण्ड दिया जाता है। यह परिच्छेद भी यहुत मनोरञ्जक है। घोसवें परिच्छेदमें सम्राट अशोकके समयका इतिहास है। इसमें हमें कोई विशेष बात टीका करने योग्य प्रतीत नहीं होती। परिच्छेद २१, २२ और २३ अध्यापक रपसनके लिखे हुए है। इनमें मौर्यवंशके उत्तराधिकारियोंका वृत्तान्त है और सिक- न्दर, तुकों और पार्थियोंके आक्रमणोंका भी वर्णन है। परिच्छेद २४ में दक्षिणका भारम्भिक इतिहास है और परि- च्छेद २५ में लङ्का द्वीपके वृत्तान्त है। अन्तिम (२५ वा) परिच्छेद अध्यापक मार्शलकी लेखनीसे है। इसमें भारतकी ललित कलाओंका वर्णन है। इस लेखकका पक्षपात इससे प्रकट होता है कि यद्यपि भारतीय कलाभोंपर श्रीयुत ई० वी० हेवल और डाक्टर आनन्दकुमार स्वामी उच्च कोटिके विशेषज्ञ गिने जाते हैं परन्तु उसने सारे परिच्छेदमें इन दोनों विद्वानोंका प्रमाणतक नहीं दिया। .

  • 2);