पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/५१२

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प्राचीन भारतीय इतिहास-विषयक पुस्तकीको सूची ४६६ किया है। वस्तुतः इसे रेपसनको उक्त पुस्तकका पड़ा संस्करण कहना अनुचित न होगा। यह भारतीय खोजका विस्तृत विवरण है। पुस्तकके अन्तमें एक विस्तृत ग्रन्थ-सूची ( Bibliography ) है। परन्तु उसमें तिलक Orion और ArcticHome राधाकुमुद मुकर्जी- की उपर्युक्त पुस्तक और ऐसे ही अन्य ग्रन्योंका नाम न देखकर आश्चर्य होता है। आर्योके आदि स्थानके विपयमें इसमें एक नया सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है। इस सिद्धान्तके अनुसार आरम्भिक आर्योंमें प्रसिद्ध वनस्पतियोंके आधारपर, आर्थीका मूल-स्थान देन्यूवको घाटी निश्चित किया गया है। आर्य लोगोंके लिये भी एक नया नाम प्रस्तावित किया गया है। पर लेखकोंने उस नामका वा उन वनस्पतियों के नामोंका वैदिक रूप बतला देने का कष्ट उठानेकी आवश्यकता नहीं समझी। रामचन्द्र मोजमदार-~-Corporate Life in Ancient In- dia. बहुत उपयोगी पुस्तक प्राचीन भारतकी माथिक, राजनी- तिक, धार्मिक और सामाजिक संस्थाओंपर अनुपम ग्रंथ । इसका सम्बन्ध सारे हिन्दू-कालसे है । परन्तु प्रत्येक अध्यायके भारम्भ- का भाग प्राइमौर्य कालका वर्णन करता है। इन पुस्तकोंके अतिरिक विद्वानोंको बहुतसी खोज पुरातत्त्व. सम्बन्धी पत्रिकामों आदिमें विसरी पड़ी है। जर्मन भाषामें वैदिक पोज सम्बन्धी साहित्य बहुत है। वैदिक साहित्यमेंसे वेदों, बामणों, उपनिषदों और सूत्रों के एक यहे अंशका संस्करण और अनुगाद हो चुका है। विद्वानों की बहुत सौ पोज जिसका उल्लेख यहां नहीं किया गया है इन संस्करणोंकी भूमिकाओं और टिप्पणियो आदिमें विपरी