पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/५१६

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प्राचीन भारतीय इतिहास-विषयक पुस्तकोंकी सूची ४७३ में लिपे हुए संस्कृतके ग्रन्थ और शिलालेख मिले हैं। कर्नल सावरको सबसे पहले पुस्तक मिलनेके वाद जर्मनों, फांसीसियों और अगरेजोंकी कुछ मण्डलियां तुर्किस्तानका निरीक्षण कर चुकी हैं। फर्नल बावरकी पुस्तक Archaelogical Survey of India में निकल चुकी है। उसमें उन सब अन्वेषणोंका इति. हास भी है । डार स्टाइनने Ancient Khotan और Explorations in Eastern Turkistan att gega लिखी हैं। तीन अंगरेज विद्वानोंने अभी Kharoshthi Inser. iptions Discovered by Sir A. M. Stein in Chinese Turkistan नामकी पुस्तक प्रकाशित की है। जावा और याली आदि द्वीपोंमें भी भारतीय सभ्यताका अच्छा प्रचार हुआ था। वहांसे संस्कृतको पुस्तकें मिली हैं। - मुसलमान यात्रियोमेंस अलबरूनी का नाम प्रसिद्ध है। जासोने उसकी पुस्तकका जर्मन और अंगरेजीमें अनुवाद किया है। सिंधर्म अरवोंका राज्य स्थापित होनेपर अनेक अरव यात्रियोंने दक्षिण भारतकी यात्रा पी और वहांका वृत्तान्त लिखा। उनका अनुवाद इलियटकी History of India as told by its oun Historians के पहले दो पण्डोंमें मिलेगा। हालमें सुलेमान सौदागरके यात्रा-विवरण का अरयीसे हिन्दी में अनुवाद काशी नागरी प्रचारिणी सभाने प्रकाशित किया है। शिलालेख सहस्रोंको संख्यामें निकल चुके हैं। वे अनेक पत्रिकामों में विशेष करके Epigraphical India में प्रकाशित होते हैं। ४०० ईसबीसे पहले के लेखों की एक सूची लूडर्सने और बाद को फीलहानने बनाई थी। . -म ८० परिच्छे दौमसे ४८ का हिन्दी-अनुवाद में कर चुका। वह वयन सशागने प्रकाशित शिया ई-सन्त राम ।