पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. लार्ड डलहौज़ो ८-१८१८ ई० में पेशवा के पदच्युत होने पर सितारे की छोटी सी रियासत शिवाजी के वंश के एक राजकुमार को दी गई थी। यह राजकुमार मर गया और उसने कोई बेटा न छोड़ा। इस लिये १८४८ ई० में रियासत बम्बई हाते में मिला ली गई। ६--१८५३ ई० में नागपुर का अन्तिम भोंसला राजा मर गया। इसके कोई सन्तान न थी ; इसलिये उसका राज अगरेज़ी अमलदारो में मिला लिया गया और मध्यप्रदेश के नाम से एक चीफ कमिश्नरी बनाई गई। १.८०३ ई० में बरार का देश हैदराबाद के निज़ाम को लार्ड वेलेजली ने दिया था। उसे निज़ाम ने अङ्गरेजी सेना के खर्च के बदले जो उसके देश में शान्ति रखने के लिये दो गई थी फिर अङ्ग्रेजों को इसी साल दे दिया । १०–अवध के नवाब के राज्य में ऐसा कुप्रबन्ध और उपद्रव मचा हुआ था और वह अपनो प्रजा पर ऐसा अत्याचार करता था कि प्रजा ने अगरेजों से शिकायत की। लार्ड बेण्टिङ्क ने और हाडिज ने बार बार नवाब अवध को समझाया और ताकीद की कि देश का प्रबन्ध ठीक होना चाहिये और जो अत्याचार और गड़बड़ी मची है, उसका प्रतिकार न हुआ तो देश उस से ले लिया जायगा। लेकिन उसने किसी बात दिया। देश की दशा बिगड़ गई। अवध का सूखा नष्ट हुआ जाता था; इसलिये अगरेजी सरकार ने गवर्नर जनरल को आज्ञा दी कि अवध को अगरेजी शासन में ले ले। लिये बारह लाख रुपये साल की पेनशन कर दी गई और वह कलकत्ते भेज दिये गये। ११-लार्ड डलहौजी के इन प्रान्तों को अगरेजी राज में मिलाने के कारण अगरेजी अमलदारी आधी या एक तिहाई बढ़ गई। अबतक बङ्गाले का गवर्नर गवर्नर जनरल हुआ करता ध्यान न -- नवाब के