पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१०५

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लाड डलहाजा तिगुनी हो गई किसानों को पैदावार का मूल्य बहुत मिलने लगा और वह पहिले से अधिक मालदार हो गये। इसका कारण यह था कि सड़कों और नहरों की राह एक जगह से दूसरी जगह माल ले जाना सहज हो गया था। इङ्गलिस्तान के व्यापारी बहुत तरह की चीजें इस देश में लाने लगे। जो चीजे पहिले भारत के बहुत से हिस्सों में देखने को भी न मिलतो थों गांव गांव में मिलने लगीं। ३-सड़कें नहरें ओर पुल बनाने और मरम्मत करने के लिये लार्ड डलहोजी ने बारिक मास्तरी का महकमा बनाया। उसके समय में दो हजार मोल से अधिक लम्बी सड़कें तैयार हुई और पुल बनाये गये। गङ्गाजी को नहर जो दुनिया की नहरों में सब से बड़ी है। उसी के समय में खुली थी। उसके सिवाय और भी बहुत सी नहरें जारी हुई। देश के बड़े बड़े जमीन के टुकड़े जो अब तक बंजर पड़े थे और जिनमें कुछ पैदा न होता था नहरों पानी से हरे भरे हो रहे हैं। नहरें क्या हैं मानों चांदी की नदियां हैं. जो तीन हजार मोल से अधिक लम्बाई में बहती हैं। ४-लार्ड डलहौज़ी के समय से पहिले बिरला ही कोई चिट्ठी लिखता था। डाक महसूल बहुत था। रेल का तो नाम ही न था और सड़कें भी बहुत कम थीं। हरकारे चिट्ठियां ले जाते थे, ओर बहुत धीरे धोरे चलते थे। चिट्ठियों पर टिकट न होते थे। दूर को चिट्टियों का महसूल भी अधिक देना पड़ता था। लार्ड डलहौज़ी ने आध आने के टिकट बनवा दिये। अब आध आने में चिट्ठो देश के एक सिरे से दूसरे सिरे तक दो हज़ार मील तक पहुंच जाती है। कुल भारत एक शक्तिमान राजा के शासन में न होता तो डाक प्रबन्ध नहीं हो सकता 1 था। अब डाक का