पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१०६

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भारतवर्ष का इतिहास प्रबन्ध अस्सी हजार मील में फैला हुआ है। और चालोस करोड़ चिट्ठियां उसके द्वारा बांटी जाती हैं। ५-आध आने के टिकट से भो अधिक बिचित्र चीज़ तार है। जिसके द्वारा कुछ आने में चुटकी बजाते बजाते खबर हजारों कोस जाती है। तार भो पहिले पहिल लाड डलहौजी के समय में -- लगा था। ६ लाई बेण्टिङ्क ने अङ्गरेजी पढ़ाने के स्कूल खुलवाये। लाड डलहौजी ने सिरिश्ते तालीम बनाया। अब देश भर में हजारों स्कूल खुल गये। देशी भाषायें भी सिखाई जाने लगी ; और सब लोग उससे लाभ उठाने लगे। उसके समय में इस देश में पचास हजार स्कूल थे अब बढ़ते बढ़ते डेढ़ लाख स्कूल हो गये हैं जिनमें चालीस लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं १८५३ ई० तक सिविल सरविस के अफसरों का मुकर्रर करना कम्पनी के हाथ में था। लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों को नियुक्त करके भारत में भेज देते थे। भारतवासी सिविल सरविस में नहीं आ सकते थे। पर उस साल सिविल सरविस की परीक्षा स्थापित हुई और जो लोग सब से ऊंचे पास हुये उनको जातिपात का भेद न करके ओहदे दिये गये। अब भारत के सिविल सरविस में ब्राह्मण, राजपूत, मुसलमान और पारसियों के सिवाय शूद्र भी हैं । ७८-लार्ड कैनिंग, चौदहवां गवर्नर जनरल (सन् १८५६ ई० से सन् १८५८ ई० तक ) १--लार्ड कैनिंग १८५६ ई० में गवर्नर जनरल होकर आया। अब इस बात को सौ बरस बीत चुके थे, जब क्लाइव ने पलासी की लडाई जीत कर अङ्रेजी राज की नेव डाली थी देश में