पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१०९

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लार्ड केनिंग वह भी फिर न हुआ। उसने कहा कि जो फेशन मेरे बाप को मिलती थी मुझे भो दी जाय। वह उसका अधिकारी न था। इस कारण अंगरेजों ने उसको पेनशन देना स्वीकार न किया। अंगरेज़ों का बैरी बन गया और उनके विरुद्ध संगठन करने लगा। और देशी सिपाहियों को चिट्ठी पत्रो भेज कर भडकाने पर उतारू हो गया। ७-पहिले पहल इक्का दुक्का रेजिमेंट ने अपने अफ़सरों को आज्ञा मानने में विरोध किया। वह रेजिमेंट तोड़ दी गई और सिपाही छुड़ा दिये गये। यह सिपाही देश में इधर उधर फिरने लगे जहां जाते थे अपने सजातीय सिपाहियों को अपना हाल सुनाते थे। एकाएक १८५७ ई० मे मेरठ में गदर आरम्भ हुआ। मेरठ से दिल्ली पास हो है और वहां बहुत से सिपाही रहते थे। सिपाहियों ने पहिले अपने अफसरों को गोली से मारा। कुल अंगरेजों और उनके बोबो बच्चों को मार डाला। उस समय उन पर भूत सवार था । उन्हों ने अंगरेज़ों को कोठियां और बंगले जलाये ; जेलखाने तोड़ कर कैदियों को छड़ा दिया और दिल्ली की ओर चले गये। ८--दिल्लो में शाह आलम का वंश बचा था, जिसके साथ अंगरेजों ने बड़ा अच्छा बर्ताव किया था। बहादुर शाह बादशाह कहलाता था। वह बूढ़ा था ; और उसको भी अंगरेजों से बड़ी भारा पेनशन मिलतो थी। उसका भी यह विचार हुआ कि पुराने मुगल बादशाहों की तरह मैं भो फिर शाहनशाह हिन्द हो जाऊं। वह और उसके बेटे बागियों से मिल गये और उन्होंने अपने शाहनशाह हिन्द होने की घोषणा की। पचास मेम और बच जो बागियों से अपने प्राण बचाने के लिये उसके किले में जा छिपे थे उसके हुक्म से मारे गये।