पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१११

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लार्ड कैनिंग लिये गये, फिर नाना साहब के हुक्म से काट डाले गये। और उनकी लाशें एक कुएं में दाल दो गई। ११-बागो पांच महीने तक दिल्ली को अपने बस में किये रहे इतने में कलकत्ता, मदरास और पंजाब से सेना आ गई। सिखों को आधोन हुये आठ हो बरस हुये थे। और उन्हों ने देख लिया था कि अंगरेजों का शासन कैला अच्छा है। और वह अंगरेजो राज में जैसे सुखो थे वैसे देशो राजाओं के राज में कभी न रहेंगे। सिख और गोरखे स्वामिभक्त रहे और अंगरेजों को ओर से वैतो हो बोरता से लड़े जैसा कि कभी इन्हों अंगरेजों से लड़ने में इन्होंने दिखाई थी। जनरल हैवलाक ने जो पीछे से सर हेनरो हैवलाक को पदवो पाकर प्रसिद्ध हुआ नाना साहब को हरा दिया। वह बनों सर जेम्स आदम में भाग गया और न जाने वहां उसका क्या हुआ। जनरल नील जनरल हैवलाक के साथ हो लिया। दोनों ने मिल कर कानपुर ले लिया और लखनऊ के अंगरेजों की सहायता को चले जहां सर हेनरी लारेन्स बड़ी बोरता के साथ पचास हजार विद्रोहियों का सामना कर रहा था। ६ दिन की कड़ी लड़ाई के पोछे जनरल विलसन ने धावा कर के दिल्ली जोत लो। अब सर कोलिन केमबल और सर जेम्स औटम की कमान में एक बड़ा गोरों की सेना आ पहुंची। कानपुर और लखनऊ जोत लिये गये। बागी अवध से निकाल दिये गये।