पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/११२

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भारतवर्ष का इतिहास जनरल निकलसन दिल्ली की लड़ाई में मारा गया। कुछ दिन 'पोछे जनरल हैवलाक भी मर गया। १२-एक सेना मदरास से जनरल हिटलाक के साथ और दूसरी बम्बई से सर ह्यू रोज के साथ चली। रास्ते में सिन्धिया और होलकर को हराती हुई और फिले पर किले जीततो हुई धीरे धोरे उत्तरीय भारत में उसने प्रवेश किया। सिंधिया और होलकर आप तो अंगरेजों से मिले रहे पर अपनी सेना को बागियों से मिल जाने से न रोक सके। इस बिगड़ी हुई सेना का सेनापति तात्या टोपे था। बागो हर स्थान पर हारे तात्या टोपे पकड़ा गया और फांसी पर चढ़ाया गया । १३–दिल्ली की जीत के पीछे बिद्रोही जहां तहां भाग गये और १८५८ ई० के अन्त तक सब जगह शान्ति और सुख फैल गया। ७६-भारत इङ्गलिस्तान की महारानी के शासन में १-जब बिद्रोह शान्त हो गया और चहुं ओर अमन चैन फैल गया तब इंगलिस्तान की पार्लिमेण्ट ने अनुभव किया कि अब ईस्ट इण्डिया कम्पनी के नाम पर शासन करने की आवश्यकता शेष उसका जीवन समय खूब लम्बा, गौरवपूर्ण तथा विचित्र रहा है। किन्तु अब इसका कार्य समाप्त हो चुका है। इंलिस्तान को महारानी विकोरिया ने पार्लिमेण्ट की अनुमति और प्रार्थना पर भारत की शासन डोर अपने कर कमलों में ली। इस प्रकार भारत बृतानिया के महान राज्य का एक भाग हो गया। यह साम्राज्य ऐसा महान तथा विस्तृत है कि अब तक संसार में ऐसा कोई राज्य कहीं नहीं हुआ। महारानी ने नहीं रहो।