पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/११४

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. १०४ भारतवर्ष का इतिहास "यह हमारी इच्छा है कि हमारी प्रजा को चाहे वह किसी नसल या धम्म की क्यों न हो, हमारी नौकरियों के पदों पर, जिन के कर्तव्य वह योग्यता से पूरे कर सकें पूरी पूरी निरपेक्षता और स्वतन्त्रता से स्थान दिया जाय । "यह हमारो अत्यन्त उत्कट इच्छा है कि हम भारतवर्ष में शान्तिमय कारोगरियों को उन्नते दें, सार्वजनिक लाभ ओर हित के कामों को बढ़ाएं ओर इस देशनिवासी अपनी प्रजा की भलाई के लिये शासन करें। उनकी खुशहालो में हमारी शक्ति, शान्ति में हमारी रक्षा और उनको कृतज्ञता में हमारा सब से उत्तम पुरस्कार होगा।" ३-अब भारतीय रियासतों के स्वामियों तथा निवासियों ने यह समझा कि हमारा जान-माल एक ऐसी शक्ति को छत्रछाया में सुरक्षित है, जो उन समस्त शक्तियों से अधिक प्रबल तथा दयामयी है, जिन का कुछ समय से हम पर शासन था। तब से अब तक पूर्ण शक्ति में छः साल से अधिक समय व्यतीत हो चुका है। इस काल में बृटिश भारत की सीमा के अन्दर तो कोई भी युद्ध नहीं हुआ और सीमा से बाहर भी बहुत कम लड़ाइयां हुई हैं। समस्त देश का इतिहास शान्ति, उन्नति, खुशहालो, सुधार, धन को अधिकता और सुख चैन का इतिहास रहा है, ओर नई सभ्यता को समन सुगमतायं एक के पोछे दूसरो यहां प्रचलित होतो रही है। ४. भारतवासी जिन के मन इस प्रेम से प्रभावित हो चुके थे, अपनी महारानी से प्रेम करने लगे थे, और वह उन्हें प्यार करतो थों। वह भारत के दोन से दोन और निर्धन से निर्धन मजदूर को भी ऐसो ही महारानी थों, जैसी कि इंगलिस्तान के किसी अभि- मान मूर्ति लाई को, यद्यपि वह भारत में कभी नहीं आई, किन्तु