पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/११५

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प्रथम वाइसराय-लार्ड कैनिंग वह हिन्दुस्तानो बोल पढ़ तथा लिख सकती थीं। कारण यह कि उन्होंने भारत से पक मुंशो बुला कर उससे यह भाषा सोखी थी, और जब कोई नया वाइसराय वा उच्च पदाधिकारी भारत भेजा गया, और रवाना होने से पहले महारानी के सम्मुख उपस्थित हुआ, तो वह उससे यह कहने से कदापि न चूकी कि "भारत में मेरी प्रजा से दयापूर्वक बर्ताव करना।" महारानो ने अपने वाइसरायों द्वारा सन् १८५८ से सन् १९०१ तक ४३ वर्ष तक शासन किया, और भारत के किसी प्रान्त पर कभी इस से उत्तम शासन नहीं हुआ, जैसा कि महारानो विकोरिया के शासन काल में समस्त भारत पर हुआ। -प्रथम वाइसराय बुद्धिमत्तानुसार धीरे धोरे सुधार १-प्रथम वाइसराय लार्ड केनिङ्ग ने जो सन् १८५६ में गवर्नर जनरल होकर भारत में पधारे थे, सन् १८६२ तक शासन किया। वह ऐसे दयालु शासक थे कि भारत में "क्लीमेन्सो केनिंग" अर्थात् “दयावान केनिंग" के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने सैकड़ों विद्रोहियों पर कृरा को और उन सब के अपराध क्षमा कर दिये जो नरहत्या, लूट, मार आदि दोषों के दोषी ठहरे थे। विद्रोहियों में ऐसे पुरुष बहुत से थे जिन को दुष्ट और चालाक स्वार्थी लोगों ने बहका कर धोके में डाल दिया था। अतः वह अपनी भूल पर बहुत लज्जित थे। महाराणो विकोरिया को इच्छा थी कि उन सब को क्षमा कर दिया जावे, जिस से वह सब अपने अपने घरों में जाकर निर्भय जीवन व्यतीत करें। लाई केनिंग ने बड़ो बुद्धिमत्ता से महारानी की इस इच्छा को पूर्ण किया।