पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/११६

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१०६ भारतवर्ष का इतिहास २-लार्ड केनिंग के समय में भारत में तीन बड़े कानून पास हुए, जो बहुत बिचार पूर्वक तैयार करके देश में प्रचलित किये गये। उनका नाम "जाब्ता दीवानी सन् १८५६," "ताज़ीरात हिन्द सन् १८६०," तथा "ज़ाब्ता फौजदारी सन् १८६१” हैं। उस समय तक प्रत्येक प्रान्त का कानून जुदा जुदा था, किन्तु यह तीनों कानून समस्त भारत के लिये बनाये गये। इनके कारण देश को वह बहुमूल्य पदार्थ प्राप्त हुआ जो इस से पहले कभी नहीं हुआ था, वह पदार्थ प्रजा के सब भागों के लिये समान दीवानी तथा फौजदारी कानून थे। इसी समय के लगभग (१८६१) प्रेसिडेन्सी नगरों में "हाई कोर्टस् आफ़ जस्टिस" महान् न्यायालय स्थापित किये गये। ३-लार्ड केनिंग ने एक और सुधार यह किया कि गवर्नर जनरल को कानूनो कौन्सिल में जो समन भारत के लिये कानून बनाया और पुराने . नूनों का सुधार किया करती है भारतीय सदस्यों को भी स्थान दिया। यह भारत शासन में भारतीयों को भाग दिये जाने की ओर पहला पग था। इन सदस्यों को पोछे से भारतीय प्रजा अपने प्रतिनिधि निर्वाचन करने लगो। हिन्दू सदस्य हिन्दू प्रजा के तथा मुसलमान, मुसलमान प्रजा के प्रतिनिधि हुए। इससे अगले पचास बर्ष में अन्य वाइसराय भी इसी ओर पग पग बढ़ते चले गये। अब प्रत्येक प्रान्त में उसकी अपनी कानूनी कौन्सिल तथा अपने भारतीय सदस्य हैं, अत: गवर्नर वा लेफटनेण्ट गवर्नर महोदय अन्धकार में नहीं वरन् उन सदस्यों की सम्मति तथा ज्ञान के उजाले में काम करते हैं। यह सदस्य गवर्नमेण्ट को बता सकते हैं कि कोई कानून प्रजा के लिये लाभकारी होगा या नहीं। यदि उस कानून को उचित तथा हितकर समझा जाता है, तो कौन्सिल में पास होकर देश का