पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/११७

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प्रथम वाइसराय--- -लार्ड कैनिंग १०७ कानून हो जाता है, किन्तु यदि हानिकारक और असन्तोषजनक सिद्ध होता है तो इसको सुधार कर इसके समस्त दोष दूर कर लिये जाते हैं, और इस प्रकार इस कानून को प्रजा के लिये अच्छा तथा लाभकारी बना दिया जाता है, या यदि यह नितान्त असम्भवं देख पड़ता है तो सर्वथा उड़ा दिया जाता है।. ४-सुधार शनैः शनैः क्यों हो-इन तथा अन्य सुधारों में जिन पर विचार किया गया वा जो पास हुए, भारत सरकार को बड़ा सावधान रहना पड़ा। कारण यह कि पहले तो आरम्भ में कोई यह भविष्यद्वाणो न कर सकता कि नूतन नियम वा परिवर्तन प्रजा के लिये हितकर होंगे या नहीं। प्राचीन काल में भारत के बहुत से प्रदेशों में बहुत से शासक थे। प्रत्येक शासक अपनी इच्छा अनुकूल सब से श्रेष्ठ रोति से शासन किया करता था। प्रत्येक प्रदेश के कानून तथा रस्म रिवाज भी भिन्न भिन्न थे, एक देश में जो बात उचित तथा न्यायानुकूल समझी जाती थी, दूसरे में वही अनुचित तथा अन्याय थी। किन्तु अव एक सर्वोपरि गवर्नमेण्ट स्थापित हो गई थी, अतः यह आवश्यक था कि ऐसे नियम तथा कानून बनाये जांय, समग्र देश के लिये एक से लाभकारी तथा हितकर हों। सरकार की इच्छा थी कि किसी कानून वा रिवाज में उस समय तक कोई उलट फेर न किया जाय, जब तक कि वह स्पष्ट तथा प्रजा के लिये हानिकारक सिद्ध न हो, जैसी कि हिन्दू विधवाओं के सती होने की रस्म थी, और दूसरी रस्म निरपराध दुधमुंही कन्याओं के हत्या की थी। दूसरे गवर्नमेण्ट की यह इच्छा न थी कि कोई ऐसा कानून पास किया जाय, जो समस्त प्रजा के लिये एक सा लाभकारी न हो, वा जिस के लिये सर्वसाधारण तैयार न हो, वा जिसे वह कुछ नई बला समझ कर भयभीत हो जाय । कारण यह कि भारतवासी