पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१२८

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आये। ११८ भारतवर्ष का इतिहास महाराजकुमार थे, राजकीय वंश के आप पहले पुरुष थे, जो भारत आप ने बहुत से भारतीय राजाओं नथा राजकुमारों से भट की, और वह सब भी अपनी महारानी के सुपुत्र से मिल कर बड़े प्रसन्न हुए। ११--लार्ड मेयो का दूसरा सुधार यह था कि उन्होंने बृटिश भारत के प्रत्येक प्रान्त में जेलखानों, रजिस्ट्रियों, पुलिस, शिक्षा, सड़कों और सरकारी इमारतों से सम्बन्ध रखनेवाले समग्र कामों का प्रबन्ध प्रान्तीय सरकारों के हवाले कर दिया । सब गवर्नमेण्टों को यह आशा दे दी कि वह अपने अपने प्रान्तों की प्रजा से जो कर प्राप्त करें उसे उन कामों पर लगा दें इन गवर्नमेएटों को साम्राज्य की सम्मिलित आय में से भी, जो "इम्पीरियल रेवेन्यू" अथवा शाही लगान कहलाती है, कुछ विशेष धन दिया जाया करे। इस प्रकार प्रत्येक प्रान्त से जो कर वसूल होते थे, वह उसो प्रान्त में वहां के निवासियों की इच्छा अनुसार उनकी आवश्य- कताओं पर ध्यय किये जाने लगे। शाही गवनेमेण्ट अथवा गवर्नर जनरल तथा उनकी कौन्सिल इस बात के लिये स्वतन्त्र हो गई कि अपना समय ध्यान शाही कामों अर्थात् ऐसे कामों पर लगाय जिन का समस्त भारतवर्ष से समान सम्बन्ध हो, जैसे कि सेना, डाकखाना, तारघर आदि। १२-लार्ड मेयो के शासन काल का एक और सुधार यह था कि नमक का कर घटाया प्रजा के महानिर्धन भाग को इससे बड़ी सुगमता हुई। उसी समय राजपूताने के नून की बड़ी झील को रेल की बड़ी बड़ी लाइनों से मिलाने के लिये एक और नई हलको ( लाइट) रेलवे लाइन जारी की गई, जिस से समन देश में लवण सुगमता से तथा कम व्यय पर ले जा सके। गया।