पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१२९

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भारत महारानी इंगलिस्तान की छत्रछाया में १३-लार्ड नार्थ (सन् १८७२-१८७६ ई. तक)पांचवें वाइसराय थे। इनके शासन काल में बंगाल में बड़ा अकाल पड़ा, किन्तु उड़ीसा के लिये यह काल ऐसा हानिकारक सिद्ध नहीं हुआ। वाइसराय तथा उनकी कौन्सिल ने इन काल के प्रभाव को रोकने के लिये उचित समय पर यहां बुद्धिमत्ता से काम लिया, और इस सम्बन्ध में काम करने के लिये बहुत से अफ़सर नियत किये । उन्होंने उन कंगाल और निधन प्रजाओं को जिन की फ़सलें मारी गई थी, काय्य, वेतन तथा अन्न दिया, अतः इस अकाल में बहुत कम मनुष्य मरे। १४--जिस समय लाड नार्थ ब्रूक वाइसराय थे, उन्हों दिनों में चिरकाल तक कुशासन के कारण रियासत बड़ौदा के महाराजा को सिंहासन से उतारा गया, जो कि गायकवाड़ कहलाता था। प्राचीन काल में ऐसी दशा में उसकी रियासत भारत राज्य में मिला ली जाती, किन्तु महारानी की सन् लाई नार्थक १८५८ ई० को घोषणा होते हुए यह न हो सकता था, अतः उसके स्थान में उसके एक नवयुवक सम्बन्धी को गायकवाड़ बना दिया गया और एक सुविख्यात भारतीय नोतिज्ञ सर टी० माधव राव को उसका महामन्त्री बना दिया गया। १५-उसी समय के लगभग भारतीय नराधीशों के राजकुमारों को शिक्षा के निमित्त अजमेर में एक कालेज स्थापित किया गया, जिस का नाम लार्ड मेयो के नाम , पर मेयो कालेज हुआ,