पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१३

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इसका क्लाइव, भारत में अंगरेजी राज की नेव बालने वाला ४७-क्लाइव, भारत में अगरेजो राज की नेव डालनेवाला अरकाट की चढ़ाई १--जिस साल अंगरेज़ों और फरासीसियों में लड़ाई छिड़ गई थो उसो साल एक ग़रीब लड़का कम्पनी की चाकरो में लेखक की तरह भरती होकर मद्रास में आया था। उसकी उमर केवल उन्नीस बरस की थी, न पैसा पास था न कोई मित्र या सहायक था। दैवी गति से वह कुछ हो काल में एक बड़ा सैनिक अफसर होकर इंगलिस्तान के सुप्रसिद्ध लोगों में गिना जाने लगा। नाम रावर्ट क्लाइव था। २---जब फरासोसियों ने मद्रास को जीत लिया तो यह हिन्दुस्थानी भेष बदल कर निकल गया और सेंट डेविड गढ़ में पहुंच गया। फ़रासीसियों ने तीन बार इस गढ़ के लेने को चेष्टा की परन्तु मेजर लारेन्स ने इस बोरता से गढ़ की रक्षा की कि करासोसियों की सब मेहनत अकारथ गई। क्लाश्व ने युद्ध विधा सीखना यहों से आरम्भ किया था। यह इस बीरता से लड़ा कि गवर्नर ने उसे लेखक से बदल कर एक छोटे से सैनिक अफ़सर की पदवी पर नियुक्त किया। ३- भारतीय सैनिक क्लाइव से इतने हिले मिले थे कि उसके साथ हर जगह जाने और हर काम करने को तैयार थे। यह लोग उसे "साबितजंग" कहते थे और इसी नाम से पीछे क्लाइव सारे भारत में प्रसिद्ध हुआ और नाम भी बिलकुल ठीक था। क्योंकि जैसा तलवारों की छांह में और गोलियों की बौछार, में सम्मुख लड़ता था वैसेहो धीरता और गम्भीरता के साथ सेना की कमान करता था।