पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१३१

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अतपत्र भारतवर्ष महारानी सम्राशी के शासनाधीन १२१ यह कि एक राजा वा रानी तो केवल एक देश तथा उसकी प्रजा पर शासन करती है किन्तु एक महाराजा वा सम्राट बहुत से देशों के राजाओं का महाप्रभु होता है। इसी लिये हम मुग़ल बादशाहों को सम्राट लिखते हैं। उन्होंने भी भारत के बहुत से देशों पर शासन किया था, और वह भी बहुत से नव्यावों, राजाओं तथा राजकुमारों के महाप्रभु थे। वृतानिया साम्राज्य के शासक के लिये भी यह उपाधि सर्वथा उचित थी। हमारे शासक जैसे कि जाज पञ्चम इंगलिस्तान के राजा हैं, किन्तु भारत तथा बहुत से अन्य देशों के जो कि वृतानिया साम्राज्य में सम्मिलित हैं महाराजा वा सम्राट हैं। २-१ जनवरी सन् १८७७ ई० को दिल्ली में एक शाही सम्मिलन ( इम्पोरियल ऐसेम्बली) हुआ, जिस लार्ड लिटन में समस्त भारत नरेश अपनी सम्राज्ञो को, उसके प्रतिनिधि वाइसराय के रूप में, सम्मान देने का सम्मिलित हुए। इन सब ने अपने प्राचीन लड़ाई झगड़ों को भूल जाना स्वीकार किया और सम्राज्ञो को आज्ञापालक प्रजा तथा बृतानिया साम्राज्य के राजकुमारों के तौर पर दर्बार में सुशोभित हुए। ३-सन् १८७६-१८७८ ई० में दक्षिण तथा दक्षिणी भारत में वर्षा नहीं हुई और सूखे (खुश्कसाली) के कारण बहुत कड़ा अकाल पडा। ५० लाख मनुष्य मारे गये। भूखी प्रजा को