पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१३२

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१२२ भारतवर्ष का इतिहास मृत्यु के मुख से बचाने के निमित्त सरकार से जो कुछ बन पड़ा उसने किया। समुद्र पार से तथा देश के अन्य भागों से जहां अकाल नहीं था, अन्न दक्षिणी भारत में लाया गया। अगणित प्रजा में अन्न वांटने पर दस करोड़ रुपया ध्यय हुआ। इस प्रकार लाखों मनुष्यों को मरने से बचाया गया। इस अकाल के पोछे दक्षिणो भारत में रेलवे लाइनों को और भी विस्तृत किया गया। कई नई रेलवे लाइनें खोली गई, जिस से यदि देश के किसी भाग में फिर अकाल पड़े तो अन्न वहां सुगमता से पहुंचाया जा सके; ४-नहीं दिनों में शेर अली अमीर अफगानिस्तान ने एक रूसी अफसर से भेंट को, और अंगरेजी अफसर से, जो गवर्नर जनरल ने उसे मित्रवत् भेंट करने के लिये भेजा था, भेंट नहीं की। अपनी इस कार्यवाही से शेर अली ने यह दिखाना चाहा कि यदि रूसी कभी भारत पर आक्रमण करेंगे, तो वह उन्हें सहायता देगा और वह घृतानिया का मित्र नहीं बरन् शत्रु है । अतएव उसके विरुद्ध युद्ध की घोषणा की गई, तथा वृतानी सेनाओं ने अफगानिस्तान पर चढ़ाई कर दी। शेर अली रूसी तुर्किस्तान भाग गया। जहां पीछे से उसकी मृत्यु हो गई, और उसका पुत्र याकूब खां उसको जगह अमीर बनाया गया। उसने अंगरेजों से सन्धि कर ली, किन्तु जब उससे भेंट करने के लिये एक बृटिश अफसर सर एल. केवेगनारी को भेजा गया, तो उसके अफगान सिपाहियों ने बलवा करके उस अफसर और उसके रक्षक दस्ते को मार डाला। इस पर याकूब खां ने राज छोड़ दिया और उसे भारत में भेज दिया गया। ५-लार्ड रिपन (सन् १८८०-१८८४ ई० ) सातवें वाइसराय थे। उनके शासन काल में अफगानिस्तान का युद्ध समाप्त हुआ। याकूब खां के छोटे भाई ऐयद खां ने राज्य पर अधिकार