पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१३४

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१२४ भारतवर्ष का इतिहास प्रयत्न किया। उन्होंने वह कानून या ऐक्ट जारी किये जो "म्युनिसिपल का टाउन ऐक्ट” तथा “लोकल फण्ड ऐक्ट" के नाम से प्रसिद्ध हैं। प्रथम के अनुसार म्युनिसिपल कमेटियां तथा दूसरे के अनुकूल जिला बोर्ड स्थापित किये गये। बहुत से बड़े बड़े नगरों ने इन कानून के अनुकूल अपने काम, जैसे कि उन महसूल की जो कि वह सरकार को सड़कों, इमारतों, अस्पतालों, पाठ- शालाओं, के लिये देते थे, देख रेख के लिये अपने प्रतिनिधि छोटे। जैसा कि हम देख चुके हैं, लार्ड मेयो ने यह सब अधिकार प्रत्येक प्रान्त को सरकार को दे दिये थे। लार्ड रिपन ने एक पग और आगे बढ़ाया और यह अधिकार प्रत्येक नगर अथवा ग्रामों के जत्थे को प्रदान कर दिये। ८-आजकल (सन् १९१८ ई० में) भारत में सात सौ से अधिक म्युनिसिपलिटियां हैं। इनमें दस हज़ार के लगभग प्रति- निधि काम करते हैं। यह लोग आप हो कर लगाते हैं। ही अपने लिये नियम उपनियम बनाते हैं और आप ही अपने धन को व्यय करते हैं। इसी प्रकार सात सौ से अधिक लोकल, तथा जिला बोर्ड, और चार सौ से अधिक यूनियन ( सम्मिलित ) पञ्चायतें (मद्रास प्रान्त में ) हैं, जिन में सत्रह हजार सभासद स्वराज्य के से ही अधिकार रखते हैं। १-लार्ड रिपन ने प्राइवेट पुरुषों के जारी किये स्कूलों को उनके व्यय के लिये सरकार की ओर से रुपये की सहायता देने को रीति भी जारी की। इस प्रकार मन बढ़ाने से जगह जगह बहुत से स्कूल खुल गये। उन्होंने प्रायः समग्र समुद्री कर उड़ा दिये जो कि उस समय ऐसे माल पर लगते थे, जो भारत में बाहर से लाया जाता था। इस कारण से यह सब माल बड़ा सस्ता हो गया, जिस से व्यापार की खूब उन्नति हुई। आप