पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१३५

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भारतवष महारानो सम्राज्ञो के शासनाधीन १२५ १०-लगभग पचास वर्षे से मैसूर अंगरेज़ अफ़सरों को एक मण्डली के अधीन था। इसको मैसूर कमोशन कहते थे। सन् १८६१ ई० में इसे पूर्व महाराजा मैसूर के गोद लिये राजा चेवरेन्द्र के हवाले कर दिया गया। यह कार्यवाही भी महारानी विको रिया की सन् १८५८ ई० की घोषणा के अनुकूल हुई थी, जिस में यह लिखा था, कि यदि किसी भारतीय नरेश का अपना कोई लड़का न होगा, वह किसी और के लड़के को गोद ले सकेगा। ११-लार्ड डफरिन (सन् १८८४--१८८८ ई०) आठवें बाइसराय थे। इनके आने के थोड़े ही समय पीछे उत्तरीय ब्रह्मा के राजा थीबा ने, जो अपने देश पर भलीभांति शासन नहीं करता था अरेजों से युद्ध आरम्भ कर दिया। एक छोटी सी अंगरेजी सेना उसके विरुद्ध भेजी गई। किन्तु वह सामना नहीं कर सका, और भाग गया। सन् १८८६ ई० में उत्तरीय ब्रह्मा भी शेष वृरिश ब्रह्मा में सम्मि- लित कर लिया गया। थोबा को पेन्शन देकर भारत भेज दिया। लाड डफरिन ब्रह्मी डाकुओं की एक बड़ी संख्या वश में की गई, और उत्तरोय ब्रह्मा पर भी दक्षिणी ब्रह्मा और शेष भारत के समान शासन होने लगा। १२---वाइसराय की धर्मपत्नी की सहायता से भारतीय स्त्रियों की चिकित्सा ( इलाज) के लिये विलायत से लेडी डाकृर भेजी इस काय्यं के निमित्त भारत तथा इंगलिस्तान में बड़ा धन गा।