पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१४३

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) भारत सम्राट एडवर्ड सप्तम शासन में १३३ की कमान में सेनाएं भेजी गई, और वहां की राजधानी लासा पर अधिकार किया गया। दलाई लामा भाग गया, और उसके स्थान में दूसरा शासक नियत करके उसके साथ प्रतिज्ञापत्र किया गया। उसने भारत तथा तिब्बत में व्यापार की आज्ञा देने की प्रतिज्ञा की। रखा ७-लार्ड कर्जन ने प्राचीन भारत के मन्दिरों, मसजिदों, मकबरों तथा यादगारों की मरम्मत कराने और स्थिर रखने की ओर पहले वाइसरायों की अपेक्षा सब से अधिक ध्यान दिया। इस प्रयोजन से कानून पास किया जिसका नाम “एनशेण्ट मौन्यूमेण्ट प्रिजरवेशन" ऐक अर्थात् "प्राचीन स्मारक रक्षक" नाम गया, तथा “अक्यिलोजिकल डिपार्टमेण्ट" में नई जान फूकी, जिसको लाई मेयो ने सन् १८७० ई० में जारी किया था। विभाग के कार्य के लिये समस्त भारतवर्ष को सात भागों में बिभक्त किया गया। प्रत्येक भाग एक विशेष अफ़सर के आधीन रखा गया, जिसने अपना समय समय इसी काम में लगाया । प्राचीन चट्टानों तथा स्तूपों पर खुदे हुए लेख बड़ी सावधानी से उतार कर अनुवाद किये गये, तथा प्राचीन भारत के इतिहास पर बड़ा उजाला डाला गया। ८-लाड मिण्टो ( सन् १९०५-६६१० ई.) बारहवें वाइसराय थे। उन्होंने लार्ड कर्जन के कार्य को जारी रक्खा तथा शासन में और भी सुधार किये। गवर्नर जनरल की दो बड़ी कौन्सिलें थीं। एक एकजिक्युटिव वा प्रबन्धक कौन्सिल, जो कि शासन कार्य करती है। दूसरी लैजिसलेटिव वा कानूनी कौन्सिल, जो नये कानून वा नियम बनाती है। लाड मिण्टों ने इन दोनों कौन्सिलों को विस्तृत किया। इण्डिया कौन्सिल ऐक सन् १६०६ ई० के आधीन इन दोनों कौन्सिलों में भारतीय सदस्यों को