पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१५०

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१४० भारतवष का इतिहास बासियों पर खूब भारी भारो कर लगाऊंगा, और भारतीय राज- कुमारों से बाज में बड़ो बड़ो रकम वसूल करूंगा।" उसने यह भी कहा कि “जर्मनो भारत की लूट से माला माल हो जायगा।" ४. जब सब कुछ तैयार हो गया, तो आस्ट्रियावालों ने छोटे से देश सर्विया पर चढ़ाई कर दी। "जर्मना ने एक और छोटे से देश बेलजियम में घुस कर फ्रान्स पर आक्रमण करना चाहा, और जर्मन जर्नलों ने कहा कि "हम दस दिन में पैरिस पहुंच जायंगे।" ५---किन्तु शाह बेलजियम ने इङ्गलिस्तान के बादशाह जार्ज से सहायता मांगो, ओर जर्मनों को दो मास तक अपनी सीमा पर रोक रखा। इतने में अंगरेजों को फ्रान्स की सहायता के लिये पहुंचने का अवसर मिल गया। किन्तु इस अवसर में बेलजियम मलियामेट हो गया । शूरबार बेलजियमों ने अपनी बीरता दिखा कर मित्र जातियों को बचा लिया। उनके पास अपने छोटे से देश का केवल एक कोना रह गया, जो युद्ध की समाप्ति तक उनके बहादुर बादशाह और उसकी बची वचाई शूरवीर सेना के अधिकार में रहा। ६. अंगरेजी सेना बहुत छोटी सी थी। इसमें केवल दो लाख योधा थे। कैसर इसे "घृणा योग्य छोटी सी सेना" कहा करता था । किन्तु फिर भी इससे बीस गुणी जमेन सेना अपनी आशा पूर्वक इसमें से गुज़र कर पैरोस तक न पहुंच सकी। बहुत कम अंगरेज़ योधा जीते रहे, किन्तु फिर भी वह फ्रान्सोसियों के बराबर रणक्षेत्र में डटे रहे, इतने में नई सहायक सेना भी पहुंच गई। ७-- ल. किचनर, जो पहले भारतीय सेनाओं के सेनापति ( कमाण्डर-इन-चीफ़) थे, अब 'गलिस्तान की समस्त सेनाओं के सेनापति बनाये गये। वह जितनी जल्दी सेनाएं, तोपें, गोले,