पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

, महायुद्ध में भारत १४६ ( अक्त बर सन् १९१८ ई० तक) दस भारतवासियों ने यह उच्चतम मान प्राप्त किया है। १७---पहिला भारती जिसने विकोरिया क्रास प्राप्त किया, एक पंजाबी मुसलमान सैनिक था । उसका नाम खुदादाद था। अपनी कम्पनी में वही एक अकेला मनुष्य था, जो ३१ अक्तूबर सन् १९१४ ई० की एक भयानक लड़ाई में जीवित बचा था, नहीं तो उसके सब साथी युद्ध में काम आ गये थे। वह भी बड़ा जखमी हुआ था, और शत्रु उसे मृत समझ कर रणक्षेत्र में छोड़ गये थे। किन्तु सावधान होने पर रात को वह धोरे धीरे अपने कैम्प में आ गया। १८-दूसरा योधा जिसने विकृोरिया क्रास का सर्वोत्तम सम्मान प्राप्त किया है, एक गढ़वाली हिन्दू है, जो हिमालय पर्वत का निवासी है। उसका नाम नायक दरवान सिंह नेगी है। २७ नवम्बर सन् १९१४ ई० के एक युद्ध में २१ दिन को लगातार लड़ाई के पोछे जब उसके सभी अंगरेज़ अफ़सर एक एक करके कम्पनी की कमान करते हुए काम आ चुके तो यद्यपि वह सरन्त जखमी था, किन्तु उसने आधी रात के समय अपनो कम्पनी के शेष योधाओं की कमान अपने हाथ में लेकर शत्रु पर आक्रमण करके उसे परास्त किया। उसकी बहुत सी तो छोन लों, और अपने योधाओं को, जो इस भयंकर युद्ध में काम आने से शेष रह गये थे, रक्षापूर्वक अपने कैम्प में वापिस ले आया। १६–सन् १९१५ ई० में अर्थात् युद्ध के दूसरे वर्ष भारतीय सेनाएं जो फ्रान्स में गौरवयुक्त काय्य कर चुकी थों, अन्य देशों में भेज दो गई; जहां तुर्कों के साथ युद्ध हो रहा था। जिन की संख्या उस समय बहुत अधिक थी। युद्ध के चार वर्ष में भारत से अंगरेज़ तथा भारतीय पांच लाख योधा गेलोपोली, टकी, मिश्र, अरब, मेसोपोटेमिया, पूर्व तथा पश्चिम अफ्रिका में अपनी बीरता