पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१६६

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१५६ भारतवर्ष का इतिहास कुछ विभागों का काय्य सम्पादन करेंगे वे मंत्री कहलायेंगे गवरनर ध्यवस्थापक सभा के निर्वाचित सदस्यों में से मंत्रियों को चुनेंगे। इस प्रकार गवरनर सूबे के प्रधान शासक रहेंगे उनके आधीन एक तो अधिक से अधिक ४ सदस्यों की कार्यकारिणी समिति होगी जिसके आधे सदस्य भारतीय होंगे यह समिति शासन के एक भाग के कार्यों का सञ्चालन करेगो-दूसरे हिन्दुस्तानी मंत्री होंगे जो शेष भाग के कार्यों का सञ्चालन करेंगे। १०--प्रत्येक सूबे में कानून औरः नियम बनाने के लिये एक व्यवस्थापक सभा होगी जो पहिले को व्यवस्थापक सभा से कहीं बड़ी होगी और उस के अधिकांश सदस्य सूबे के निवासियों द्वारा निर्वाचित होंगे। शेष गवरनर द्वारा नामजद होंगे-सब सूबों के सदस्यों को संख्या समान न होगी-बड़े सूत्रों के सदस्य अधिक और छोटे सूबों के सदस्य कम होंगे --सब प्रान्तों के निर्वाचित सदस्यों की संख्या ७७६ होगो ३ वर्ष के पश्चात् यह सभा नई हो जाया करेगी। ११-प्रान्तीय व्यवस्थापक सभा के सदस्यों को प्रान्त के निवासी हो वोट द्वारा निर्वाचित करेंगे-सब लोगों को वोट देने का अधिकार नहीं। वोट देनेवाला में कुछ विशेष बातें होनी चाहिये। उनमें मुख्य बात यह है कि वोट देनेवाला एक निश्चित धन लगान, आयकर तथा स्थानीय कर के रूप में देता हो इस समय केवल पुरुष हो वोट दे सकते है इंगलैंड की तरह यहां पर स्त्रियों को वोट देने का अधिकार नहीं, परन्तु यदि प्रान्तिक सरकार चाहे तो स्त्रियों को भी वोट देने का अधिकार दे सकती है। आठों सूषों के वोटरों को संख्या साढ़े बावन लाख के लगभग है। किसी पर वोट देने के लिये दबाव नहीं डाला जाता। जो लोग चाहें वेहो वोट दे सकते हैं। इंगलैण्ड में बहुत से पुरुष और स्त्री ऐसे हैं जो अगर चाहें तो