पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१६७

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भारत की नई शासन पद्धति अस्पताल और वाट दे सकते हैं परन्तु वे देते ही नहीं। किसी ध्यक्ति को योट देने के लिये रुपया लेना उचित नहीं। किन्तु जिस पर उसका यह विश्वास हो कि अमुक ध्यक्ति सदस्य का कार्य भलो भांति कर सकता है उसके लिये ईमानदारा के साथ वोट दें यदि वह अयोग्य निकले तो फिर उसको वोट न देवें; किन्तु किसी दूसरे पुरुष को वोट दें जो उससे अच्छा हो। नियमानुसार तीन वर्ष के पश्चात् नया चुनाव हुआ करेगा। १२--प्रान्तिक सरकार केवल उन्हीं कार्यों का सञ्चालन करेगी जिनका सम्बन्ध सूबे से ही होगा अर्थात् लगान को वसूलो, कालिज और पाठशाला में तालाब और नहरें, डाकृर, औषधालय, सड़कें और पुल ; लाइट रेलवे, जंगलात, पुलिस कारागृह, न्यायालय और निर्वाचन इत्यादि । १३-परन्तु कुछ कार्य ऐसे हैं जो समस्त भारत से सम्बन्ध रखते हैं किसो एक सूबे से ही नहीं। उनका सञ्चालन भारत सरकार अर्थात् वाइसराय और उनकी कौन्सिल द्वारा होगा। उनकी सभाओं के नाम कार्यकारिणी सभा, व्यवस्थापक सभा, राष्ट्र सभा, नरेन्द्र मण्डल और प्रोवीकौन्सिल हैं। १४-वाइसराय अपनी कार्यकारिणी सभा की सहायता से जिस में तीन भारतीय सदस्य भी हैं उन कार्यों का सञ्चालन करते है जिनका सम्बन्ध समस्त भारत-राष्ट्र से है उन विषयों में सब से मुख्य और महत्व का विषय भारत रक्षा अर्थात् सेना का प्रबन्ध है-पाठ ५७ में यह स्पष्ट दर्शाया गया है कि भारतवष ऐसे विस्तीर्ण भूखण्ड में यदि शान्ति और सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करना हो तो एक बहुत उत्तम शक्तिशाली और मध्यस्थ सरकार का होना आवश्यक है जो समस्त देश में शान्ति रख सके और देश को बाहरी शत्रओं से बचावे। यह काम केवल वही