पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१६० भारतवर्ष का इतिहास (ब) १-ग्रेट ब्रिटेन के साम्राज्य में भारतवर्ष की उन्नति (१) अंगरेजी शासन के मुख्य उद्देश्य १-हम ऊपर लिख चुके हैं कि इस लम्बे चौड़े भारतवर्ष में अनेक देश है और उनमें भिन्न भिन्न धर्म और मत को अनगिनत जातियां रहती हैं। जैसे हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, पारसी और ईसाई। प्रत्येक जाति के प्राचार व्यवहार रीति रस्म भिन्न हैं पर सब के सब एक दूसरे के पास सुख चैन से रहते हैं। इसका क्या कारण है? हमारी गवर्नमेण्ट की कौन सी रीति है और किन नियमों से बंधी हुई है ? २---अव धर्म में पूरी स्वतन्त्रता है। भारतवष का कोई रहनेवाला हो अपनी जाति और धर्म के आचार पर चल सकता है। इसमें सन्देह नहीं कि दूसरे धर्म को बुरा भला नहीं कह सकता। जिसका जहां जी चाहे मसजिद में नमाज़ पढ़े, मन्दिर में पूजा करे या गिरजे में दुआ करे। धर्म बदलना चाहे तो भी कोई रोक टोक नहीं है और न धर्म के कारण किसी को सताना या उस पर कोई कड़ाई करना उचित है। ३---परन्तु धर्म की ओट में किसी को अपराध करने का अधिकार नहीं। न कोई अपने निरपराध बच्चे को गंगा में सुबा सकता है, न किसी निरपराध लड़की को मार सकता है ; न किसो देवो, देवता पर आदमी बलिदान चढ़ा सकता है। न कोई विधवा सती होकर अपने पति की चिता पर जलाई जा सकती है। अगले समय में इन बातों का बहुत प्रचार था अब यह सब अपराध बन्द .कर दिये गये हैं। और इनके लिये कड़ा