पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारतवर्ष का इतिहास और मालदार नगरों में से बहुतसा माल और रुपया ले गये। इसो मांति दिल्ली नगर कई बार लूटा गया। ५-केवल बाहर के चढ़ाई करनेवालों ने हो लड़ाई की आग न भड़काई थी। भारत के राजा और बादशाह भी आपस में लड़ा करते थे। ऐसो घर को लड़ाइयों का बयान भी तुम इतिहास में पढ़ चुके हो। ६-आजकल के नये इतिहास में कदाचित सब से बुरा समय औरङ्गजेब की मृत्यु के पीछे से और अंगरेजी राज के आरम्भ तक था। अर्थात् १७०० ई० से १८२० तक, विशेष करके औरङ्गजेब की मृत्यु के पोछे को एक शताब्दी तक उसे अशान्ति और उपद्रव का समय कहते हैं। ७-औरङ्गजेब को मृत्यु के पीछे मुग़ल साम्राज्य टुकड़े टुकड़े हो गया। भारत भर में बहुत सो स्वाधीन रियासते हो गई। यह छोटे छोटे हाकिम ( नवाब और राजा) लगातार आपस में लड़ा करते थे। मरहठों की सेना ने सारे उत्तरोय और मध्य भारत को जीत लिया। देश को उजाड़ डाला और लोगों को लूट लिया। जो लोग अपना धन न देते थे उन्हें मार डालते या बहुत से कष्ट देते थे। सुप्रबन्ध रखने के लिये शक्तिमान शासक न था इस कारण लुटेरों, साकुओं, ठगों, पिण्डारियों और भांति भांति के चोरों से देश भर गया। कोई भी बेखटके न रहा। कड़ा पहरा और बहुत से सिपाहियों के बिना यात्रा नहीं हो सकती थी और इस पर भी बहुधा यात्री जीते जी घर न लौट आते थे। ८-तुम सुख और शान्ति के समय में रहते सहते हो तुम्हें उन मार काट के दिनों का ध्यान भी नहीं हो सकता। पिछले साठ बरस में उत्तरीय भारत में और कम से कम