पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१७५

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। ग्रेट ब्रिटेन के साम्राज्य में भारतवर्ष की उन्नति सौ बरस से दक्षिण भारत में कोई लड़ाई नहीं हुई। हमारी सरकार के राज्य में चारों ओर शान्ति और सुख ही दिखाई देता है। ६-देश के हर भाग में शान्ति का सिक्का बैठाने के लिये शक्तिमान शासक को आवश्यकता होती है, जो अशान्ति न होने दे, बिद्रोहियों को दबाये रक्खे, बाहरो चढ़ाई करनेवालों को देश में न घुसने दे, और डाकुओं और लुटेरों के अत्याचार से प्रजा को बचाये रखे। १०---भारत के रहनेवाले बहुत सो जाति के हैं और भिन्न भिन्न भाषायें बोलते हैं। उनके भिन्न भिन्न मत हैं और अनेक समाजों में बँटे हैं। एक सिख या पठान किसी बंगाली मरहठे या मद्राजो से भिन्न है उसका रूप पहिनावा, भाषा और मत सब अलग है। विरला हो ऐसा कोई शाहनशाह भारत में हुआ है, जिसने कुल भारत पर हुकूमत को हो और इन सब में शान्ति रखी हो। अकबर और जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब जैसे बड़े मुग़ल शाहनशाह ने भी केवल उत्तरीय और मध्य भारत के कुछ हिस्सों पर राज किया है। उन दिनों में रेल और तार का तो नाम भो न था। अच्छी सड़के भों बहुत कम थों। इसी कारण उन शाहनशाहों की आज्ञा का पालन सारे देश में न होता था। ११–पर अब भारतवर्ष पर ऐसा प्रतापी बादशाह है जिसकी टक्कर का कोई उसके पहिले नहीं हुआ। वह दुनिया भर के सब राजाओं से अधिक शक्तिमान है; उसको थलसेना और जलसेना शान्ति रख सकती हैं, बिद्रोहियों को दबा सकती हैं और चढ़ाई करनेवालों को भगा सकती हैं। वह महाराज सम्राट पञ्चम जार्ज हैं।