पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१८०

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१९११ ई० में भारतवर्ष का इतिहास ५---जब १८५८ ई० में इङ्गलैण्ड के बादशाह ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से भारत का शासन ले लिया तब सेविङ्ग बैङ्क और मनो आर्डर न थे। अब ८००० डाकखाने के बैङ्क हैं जिन में १२ लाख आदमियों के हिसाब हैं। इन में हिन्दुस्थानी हैं जो पहिले अपनो बचत का रुपया धरती में गाड़ देते थे। अब गवर्नमेण्ट उनके रुपयों की रक्षा करती है और उन्हें सूद भी देतो है। १७ करोड़ रुपया सेविङ्ग बैङ्क में जमा था। इतना धन डाकराने के सेविङ्ग बैङ्क में जमा होना इस बात का प्रमाण है कि लोगा को गवर्नमेण्ट पर पूरा विश्वास है। ३७३ करोड़ के मनी आर्डर हर साल भेजे जाते हैं। ६. इतना ही नहीं है कि तार से घ्यापारियों को सायता मिलती है और साधारण लोगों को अपने काम में लाभ है। इससे शासन में बड़ी सुगमता है। ७-अकबर ओर औरङ्गोब ऐसे पुराने शासकों को भी यह बड़ी सहायता का उपाय न जुड़ा था। १८५१ ई० में कलकत्ते में तार की पहिलो लाइन बनाई गई। यह केवल ८२ मील लम्बोशी। इसके चार बरस पीछे लार्ड डलहाजी के शासन में ३००० मील लाइन खोली गई। ६० बरस पीछे अब ७५००० मोल लम्बा लाइन पर ७००० तार धर काम कर रहे हैं और इन पर से साल में एक करोड़ बीस लाख खबरें भेजो जाती हैं। जो चाहे बारह लफ़जों का छोटा तार सैकड़ों क्या, हज़ारों मील की दूरी पर वारह आने खर्च कर के कुछ मिनटों में अपने हित मित्रों के पास भेज सकता है। (५) नहर और आबपाशी (सिंचाई) १-नहरें माल और यात्रियों को रेल से भी सस्ते भाडे पर ले जाती हैं। उनसे यही काम नहीं लिया जाता। वह धरतो के