पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१८१

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प्रेट ब्रिटेन के साम्राज्य में भारतवर्ष की उन्नति १७१ बड़े बड़े टुकड़ों को पानी देती हैं। पहिले भी नहरें थीं पर जिस समय अङ्गरेज़ों ने देश का शासन अपने हाथ में लिया तो उन में बहुत थोड़ी नहरें काम की थीं। लड़ाई और अशान्ति ने उनका नाश कर दिया था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने पुरानी नहरों की मरम्मत को और नई नहरें खुदवाई। २–जो नहरें १८५८ ई० में जारी थीं उन से १५ लाख एकड़ धरती का सिंचाई होती थी। तब से पिछले ६० बरस में ४५ करोड़ रुपया नहरों में लग चुका है। अब भारत में दुनिया भर में सब से अच्छा सिंचाई का प्रबन्ध है। दो करोड़ तोस लाख एकड़ से अधिक धरतो की इस से सिंचाई होती है और इस में ६१००० रुपये से अधिक को फसलें होतो है। ३--अपर गंगा को नहर एक नई नदी की भांति ४६० मील लम्बो है और इसकी शाखाये ४४८२ मोल लम्बी हैं। ४-पंजाब में बड़ो नहर और उनकी शाखायें ४५०० मोल लम्बी हैं। और १०५०० मोल छोटे छोटे खाल हैं। यह सब पचास लाख एकड़ धरती को आबपाशो करते हैं। चनाब को नहर ने एक सूखे और उजाड़ देश को हरा भरा बाग़ बना दिया जिसका क्षेत्रफल बोस लाख एकड़ है। सिंध को उस धरती में जो सूखा जंगल था गेहूं बहुतायत से पैदा होता है। यह गेहूं दस लाख खेतिहरों के खाने में आता है। यह खेतिहर और इलाकों से आकर यहां बस गये हैं। सिंध की यह नई आबादी केवल वहां के रहनेवालों ही को भोजन अन्न नहीं पहुंचातो। वहां से हर साल तीन करोड़ रुपये दाम का गेहूं और देशों में जाता है। यह पुराने समय का बन था। यहां अब हरे भरे गांव हैं जिनमें अच्छी सड़कें, लम्बे चौड़े घर, कुएं, मसजिदें, पेड़ों के कुञ्ज और बाग़ लहलहा रहे हैं।