पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१८४

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भारतवर्ष का इतिहास है वह ऐसा मान पा सकते हैं जिन से वह धरती पर अच्छी खेती कर सकें और अपना हिसाब किताब रख सकें जिसमें उन्हें कोई धोखा न दे। (७) अकालपीड़ितों की सहायता १-प्राचीन काल में भारत में कितने ही बड़े काल पड़े थे जिसका हाल हमें हिन्दुओं की पोथियों से व्योरेवार मालूम होता है। उसके पीछे जब यहां मुसलमान बादशाह थे उस समय जो काल पड़े उनका ध्योरेवार हाल इतिहासों में लिखा है। अकबर के समय में कम से कम तीन बड़े काल पड़े थे। लाखों आदमी मर गये; क्योंकि उस समय में रेल नहीं थी और दूर से अन्न भेजने का कोई सामान न था। २-काल पड़ने के कई कारण है। इसका सब से बड़ा कारण पानो न बरसना है। पर इसके सिवाय लड़ाई डकैती और कुप्रबन्ध से भी काल पड़ जाता है। जहां कहीं यह बातें हों वहां पानी बरसे तौभी किसान अपने खेतों को ठीक जोत वो नहीं सकते। ३-अब भारत में शान्ति और सुप्रबन्ध है। उससे काल के कुछ कारण तो दूर कर दिये गये। पर अच्छी से अच्छी गवर्नमेण्ट भी पानी नहीं बरसा सकती। फिर सूखे का भी उतना डर नहीं रह गया। ४--अगले दिनों में जब बहुत से स्वाधीन राजा थे तब हर एक को अपने अपने राज्य को फ़िकिर करनी पड़ती था। उसे दूसरे राज्य को कुछ परवाह न रहती थी। उसे इतनी भी खबर न मिलती थी कि दूसरे राज्य में क्या हो रहा है। भारत का हर एक भाग तभी काल से बच सकता है जब सारे देश का